www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

सम्भल में जो दिख रहा है वह किसी छोटे पराजय से हुए नुकसान की भरपाई है।

-सर्वेश कुमार तिवारी की कलम से-

laxmi narayan hospital 2025 ad

Positive India: Sarvesh Kumar Tiwari:
मैं इस बात को लेकर कभी संदेह में नहीं रहा कि सभ्यता के संघर्ष वर्षों, दशकोय शताब्दियों में पूरे नहीं होते, सभ्यता को हजारों वर्षों तक संघर्ष करना पड़ता है। इस बीच में हजारों बार वह हारती है और हजारों बार जीतती है। ऐसे में कोई एक पराजय, किसी क्षेत्र विशेष में उसका प्रभाव समाप्त हो जाना, उसे हमेशा के लिए समाप्त नहीं कर सकता। एक क्षेत्र की पराजय फिर विजय में बदल जाती है, कुछ दशकों में हाथ से निकला क्षेत्र भी वापस मिल जाता है।

ऐसे में व्यक्ति का धर्म बस यह है वह अपने धर्म पर अडिग रहे। सत्य के साथ रहे, अपने अधिकारों के लिए सजग रहे। हम फलाँ क्षेत्र में पराजित हो गए, यह सोच में अवसाद में चले जाना आत्मघाती होता है। पूर्व की किसी पराजय के लिए पूर्वजों को कोसना, या अनावश्यक बौद्धिकता दर्शाने के लिए अपने ही लोगों के लिए अभद्र बोलना भी मूर्खतापूर्ण व्यवहार है। इस बेकार की भाषणबाजी से अलग अपने लिए कर्तव्य का चयन कर उसपर डट जाना ही वस्तुतः धर्म निभाना है।

सम्भल में जो दिख रहा है वह ऐसे ही किसी छोटे पराजय से हुए नुकसान की भरपाई है। यह एक बहुत ही छोटा किन्तु स्पष्ट सन्देश है कि जो आज हाथ से निकल गया है वह कल वापस मिलेगा, बस हमें संघर्षरत रहना होगा। चार दशक के बाद महादेव पर जल चढ़ाया जाना और हनुमान जी महाराज की आरती होना इसी बात की गवाही है। यह केवल इस कारण हो सका है कि सभ्यता संघर्ष कर रही थी।

उनके घर छेक लिए गए होंगे, मन्दिर को किसी ने अपने घर में मिला लिया, पूजा आरती बन्द हो गयी। इस पचास वर्ष में जन्मी या बड़ी हुई पीढ़ी को तो पता भी नहीं होगा कि वहाँ कोई मन्दिर भी था।

लगभग पचास वर्ष पूर्व वह कोई कमजोर दिन था जब वहाँ के लोग अपना घर, अपने तीर्थ, अपने मन्दिर छोड़ कर पलायन कर गए। वे कायर नहीं थे, बस परिस्थियां उनके अनुकूल नहीं थीं। उनके घर छेक लिए गए होंगे, मन्दिर को किसी ने अपने घर में मिला लिया, पूजा आरती बन्द हो गयी। इस पचास वर्ष में जन्मी या बड़ी हुई पीढ़ी को तो पता भी नहीं होगा कि वहाँ कोई मन्दिर भी था। पर आज जब परिस्थिति अनुकूल हुई तो मन्दिर का अतिक्रमण करने वाले स्वयं चिल्ला रहे हैं कि बुलडोजर मत चलाओ, हम खुद ही घर का अवैध हिस्सा तोड़ रहे हैं।

पलायन वाली घटना की फाइल बाबा फिर खोल रहे हैं। कुंए की खुदाई चल रही है। आगे देखते हैं कि समय क्या खेल दिखाता है।

सभ्यता की यही गति होती है। नदी अपने राह में आती बाधाओं को स्वयं किनारे फेंकती जाती है, बस उनकी धार बनी रहे… आप अपना कर्तव्य निभाइये, अपने नायकों के साथ खड़े रहिये, उनपर भरोसा बनाये रखिये, सभ्यता हर पराजय का कलंक पोंछ देगी।

साभार:सर्वेश तिवारी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
गोपालगंज, बिहार।

Leave A Reply

Your email address will not be published.