Positive India:Vishal Jha:
रशिया लड़ रहा है। स्वयं तबाह हो रहा है। उसके ऊपर प्रतिबंध पर प्रतिबंध लग रहे। क्या मिला रशिया को युद्ध से। किसी को कुछ नहीं मिलता युद्ध से। रशिया बेवकूफ है।
मैं कहूंगा रशिया बिल्कुल भी बेवकूफ नहीं है। उसे बहुत कुछ मिलेगा इस युद्ध से। रशिया बहुत अच्छा लड़ रहा है। हजारों सैनिक अपना कुर्बान कर रहा है। इस युद्ध का चुनाव उसे करना चाहिए ही था। नहीं चुनता तो भविष्य में कभी भी युद्ध उसके दरवाजे पर आकर खड़ा हो जाता। फिर उसे खून के आंसू रोना पड़ता। आज बस फर्क इतना है कि युद्ध तय करना उसके हाथ में रहा। भविष्य में कोई और तय करता। अटैक इज द बेस्ट सेल्फ डिफेंस।
रशिया यदि आज कुर्बानी दे रहा है, अपने सैनिकों का, अपने अर्थव्यवस्था का, तो बदले में वह अपना आत्मविश्वास हासिल कर रहा है। वह अपने लिए दशकों की सुरक्षा घेरा तैयार कर रहा है। यूक्रेन नाटो का सदस्य बिना युद्ध के बन जाता और युद्ध के बाद बनेगा, दोनों में बहुत फर्क होगा। इस युद्ध के पश्चात यूक्रेन यदि नाटो का सदस्य बनता है तो कम से कम अमेरिका के लिए उतना बेहतर टूल नहीं बन पाएगा। यह रशिया की अघोषित जीत है। इसी जीत के लिए रशिया कीमत चुका रहा है। हमारी सिम्पैथी रशिया के साथ है।
युद्ध अगर ठीक नहीं तो यूक्रेन को नाटो जैसे सैनिक गिरोह में घुसने की इतनी कौतुहल क्यों? यूक्रेन को किससे डर? रशिया से डर तो नहीं ही थी ना? फिर नाटो में उसके शामिल होने का कारण क्या है? रशिया को और बर्बाद करने के सिवाय और क्या लक्ष्य हो सकता है? यदि यूक्रेन का नाटो की सदस्यता लेना यूक्रेन के लिए फ्यूचर सिक्योरिटी एश्योरेंस है, तो आज का युद्ध भी रशिया के लिए फ्यूचर सिक्योरिटी एश्योरेंस ही है।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)