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हमें किस तरह के पत्रकार चाहिए ?

अर्नब गोस्वामी तथाकथित राजनीतिज्ञों के हलक से सच उगलवाने की काबलियत रखता है।

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Positive India:7 September 2020:
हमें किस तरह के पत्रकार चाहिए ?

बहुत घटिया चैनल है।
बहुत चिल्लाता है।
इसे किसी के दुःख से कोई मतलब नहीं है।

अर्नब गोस्वामी के लिए कल मैंने ये कमेंट पढ़ें और मुस्कुरा दिया। भारतीय व्यक्ति की स्मरण शक्ति मूंगफली के दाने जितनी होती है। आसाराम का मीडिया ट्रॉयल भूल गए। राम रहीम का मीडिया ट्रायल भूल गए। रामदेव का मीडिया ट्रायल भूल गए। बस याद रहा तो अर्नब का अक्खड़पन। पत्रकारिता का क्षेत्र ही ऐसा है। यहां धीर-गंभीर सुसंस्कृत भेड़िए भाते हैं लेकिन सीधा सिंग मारने वाले निर्भीक नंदी को ये गुंडा पत्रकार मानते हैं। जैसे एक भेड़िया पिछले दो माह पहले तक नईदुनिया इन्दौर का संपादक बना बैठा था। इन सुसंस्कृत भेड़ियों में ये डायनासोर कहाँ से घुसा चला आया जो इन राजनितिज्ञों की चड्डी नियमित रूप से फाड़ रहा है। वह समय गया जब ये सुसंस्कृत पत्रकार नेताओं से न तीखे सवाल कर पाते थे न उनको ये याद दिला पाते थे कि जनता से तुम हो, तुमसे जनता नहीं। वह मेज ठोंककर गरजता है। लोगों को उसका ये अंदाज पसंद है। वह पत्रकारिता का नया सफल सितारा है। उसकी आक्रामक पत्रकारिता इस ढीठ राजनीतिक समूह के लिए सर्वथा उपयुक्त शस्त्र है। हां वह नेताओं की झूठी इज्जत नहीं करता। वह हलक से सच खींचकर निकाल लेता है। ये नई पत्रकारिता है, जो सम्मान, पद की गरिमा को कूड़े में डाल आई है। और यही होना भी चाहिए। पद के लालच और उसके झूठे सम्मान को रौंद डाले, अब ऐसे पत्रकार चाहिए।

साभार:विपुल विजय रेगे वाया सुजीत तिवारी-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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