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क्या है केजरीवाल के मुफ्तखोरी के घातक हथकंडे वाली राजनीति के भयंकर दुष्परिणाम?

आखिर क्यों केजरीवाल अपनी मुफ्तखोर राजनीतिक संस्कृति की स्मैक की पुड़िया लेकर यूपी, गोवा, पंजाब में मंडराने लगे है?

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Positive India:Satish Chandra Mishra:
केजरीवाल द्वारा दिल्ली को पिलाई जा रही मुफ्तखोर-हरामखोर राजनीतिक/प्रशासनिक संस्कृति की स्मैक का भयानक दुष्परिणाम यह है…
आज यह पोस्ट इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि यूपी पंजाब गोवा के चुनाव निकट आते ही इन तीनों राज्यों में केजरीवाल अपनी मुफ्तखोर हरामखोर राजनीतिक संस्कृति की स्मैक की पुड़िया लेकर मंडराने लगा है।
केजरीवाल द्वारा मुफ्तखोरी की स्मैक पिलाकर जनता के वोट ठग लेने के घातक हथकंडे वाली राजनीति के भयंकर दुष्परिणामों का यह भयानक सच आपको वो लुटियन मीडिया और न्यूजचैनल कभी नहीं बताएंगे जो केजरीवाल सरकार के विज्ञापनी टुकड़ों पर पलते रहे हैं।

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क्या आपको यह ज्ञात है कि किसी और के बजाए स्वयं दिल्ली सरकार द्वार नवंबर 2018 से नवंबर 2019 के मध्य कराए गए एक सर्वे की रिपोर्ट इस वर्ष जनवरी में उजागर की गई है। इस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में बेरोजगारी की दर 16.25% है तथा 6 से 17 वर्ष की आयु वाले 10% प्रतिशत बच्चे गरीबी भुखमरी के कारण स्कूल का मुंह ही नहीं देखते हैं। यह है केजरीवाल का सुशासन और दुनिया का सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मॉडल।
उपरोक्त तथ्य इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि दिल्ली में बेरोजगारी की यह दर दिल्ली की सत्ता में केजरीवाल के काबिज होने के ठीक पहले के वर्ष (2013-14) के दौरान रही दिल्ली की बेरोजगारी की दर (4.4%) से लगभग 256% अधिक तथा वर्ष 2018-।9 के दौरान देश में रही बेरोजगारी की दर (5.8%) से लगभग 180% अधिक थी। यह स्थिति तो कोरोना काल से ठीक पहले की है। लेकिन कोरोना काल के बाद दिल्ली में बेरोजगारी की और अधिक भयावह स्थिति ने केजरीवाल के निक्कमे नकारा भयंकर कुशासन की एक एक परत बहुत बुरी तरह से उखाड़ कर फेंक दी है।
उल्लेखनीय है कि मई 2021 में देश में बेरोजगारी की दर 14.73% थी जबकि दिल्ली में इससे 219% अधिक बेरोजगारी दर (45.6%) मई 2021 में हो गयी थी। स्तब्ध कर देने वाला आश्चर्यजनक तथ्य एक और है। मई 2021 में ही दिल्ली में बेरोजगारी की दर उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी की दर (6.9%) से लगभग 560% अधिक थी।
यह है केजरीवाल द्वारा दिल्ली को पिलाई जा रही मुफ्तखोर हरामखोर राजनीतिक संस्कृति की स्मैक का भयानक दुष्परिणाम।
अंत में यह उल्लेख भी अत्यन्त आवश्यक है…
हम आप और दिल्ली समेत पूरा देश यह देख रहा है कि पिछले 16 महीनों के दौरान 23 करोड़ जनसंख्या वाले उत्तरप्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 732 व्यक्ति प्रति एक लाख रही है। तथा कोरोना के कारण उत्तरप्रदेश में प्रति एक लाख जनसंख्या पर लगभग 10 (9.87) व्यक्तियों की मृत्यु हुई है। जबकि उत्तरप्रदेश से लगभग 12 गुना अधिक की दर से दिल्ली में एक लाख जनसंख्या पर 119.15 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है। उत्तरप्रदेश में कोरोना संक्रमण की दर (731 प्रति लाख) से लगभग 9 गुना अधिक (6712 प्रति दस लाख) की दर से दिल्ली में लोग कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं।
उपरोक्त आंकड़ों में आज सवेरे 8 बजे तक की स्थिति सम्मिलित है। यह स्थिति दिल्ली सरकार के नकारे निक्कमे कुशासन का भयानक सच प्रकट कर रही है।

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यदि सहमत हों तो पोस्ट को शेयर/कॉपी/पेस्ट कर के अधिकतम लोगों को केजरीवाल की उपरोक्त राजनीतिक ठगी से सावधान करिए।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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