Positive India:Vishal Jha:
शी जिनपिंग(Xi Zingping) के तख्तापलट की खबर को मजबूत करने के लिए कई तर्क हैं। लेकिन खबर उठी कहां से, जानेंगे तो पाएंगे कि खबर कितना हास्यास्पद है? मैं इस खबर के लिए अफवाह जैसा हमदर्द शब्द नहीं लिखना चाहता।
शुरुआत होती है कि उज्बेकिस्तान में आयोजित एससीओ मीटिंग से शी जिनपिंग जल्दी भाग आए। जल्दी इसलिए कहा जा रहा क्योंकि डिनर में अन्य नेताओं के साथ शामिल नहीं हुए थे। इसी के साथ दूसरा और तर्क तख्तापलट की खबर को मजबूत करने के लिए दिया जाता है कि चीन में होने वाली सबसे महत्वपूर्ण सेमिनार नेशनल डिफेंस एंड मिलिट्री रिफॉर्म में जो कि 21 सितंबर को रखा गया था, शी जिनपिंग शामिल नहीं हुए। समरकंद से ससमय लौट जाने के बावजूद।
लेकिन शामिल नहीं होने का भी एक खंडन मौजूद है कि शी जिनपिंग ने सेमिनार के बाद होने वाला प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था। मतलब है कि समरकंद से लेकर बीजिंग तक वाली सिक्वेंस थियरी पर्याप्त नहीं बैठ रही।
इसके बाद बचता है फ्लाइट्स, ट्रेंस और बसेज के आवागमन पर स्टे का मैटर। तो मिलट्री एक्सरसाइज कह देना इस स्टे को सिंपलीफाई करने के लिए उपलब्ध है। लेकिन सबसे बड़ी बात कि ये सारी खबरें केवल तख्तापलट की खबरों को मजबूत करने के लिए है। इस खबर की शुरुआत कहां से हुई?
तो शुरुआत हुई कुछ चाइनीस एक्टिविस्टों के टि्वटर हैंडल से। जो एक्टिविस्ट चीन के बाहर रहते हैं अथवा ताइवान आदि में रहते हैं। इन एक्टिविस्ट्स ने अपने ट्विटर हैंडल से एक वीडियो पोस्ट किया। उस वीडियो में बताया जा रहा है कि पिएलए का 80 किलोमीटर लंबा काफिला बीजिंग के लिए चल दिया है।
जिस मोबाइल से यह वीडियो बनाया गया है उस मोबाइल में केवल आगे का रास्ता दिखाया गया है। आगे एक भी गाड़ी नहीं है। और वीडियो बनाने वाले ने इतना कष्ट नहीं किया कि 80 किलोमीटर लंबा काफिला का एक झलक कैमरा पीछे करके दिखा देता।
इसकी पक्की खबर जानने हों तो हमारे भारत के दो आदमी निश्चित तौर पर बता सकते हैं। एक सोनिया गांधी और दूसरा राहुल गांधी। क्योंकि इन दोनों ने सी जिनपिंग के साथ 2008 में बड़ा व्यक्तिगत रूप से एमओयू साइन किया था।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)