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तीन लड़कियों पर केंद्रित पहलवानों का आंदोलन तथा द केरला स्टोरी के आंदोलन में क्या अंतर है ?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
देश में इस वक्त दो तरह का आंदोलन चल रहा है। दोनों का विमर्श देशव्यापी है। एक तरफ खास परिवार के तीन लड़कियों के लिए न्याय के नाम पर आंदोलन है। बड़े-बड़े लोग समर्थन को पहुंच रहे हैं। बड़े बड़े कारपोरेट वाले इन्वेस्ट कर रहे हैं। धरना स्थल से लेकर सेवन स्टार होटल तक पूरी व्यवस्था मुहैया कराई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट का सपोर्ट तक मुहैया कराया जा रहा है। कई कई स्टेट्समैन स्वयं आंदोलन स्थल तक पहुंचकर समर्थन कर रहे हैं। बड़े-बड़े नेता, इंटरनेशनल ख्याति प्राप्त एक्टिविस्टों की जुगत से आंदोलन हाई प्रोफाइल आंदोलन बन गया है।

दूसरी तरफ का आंदोलन भी तीन लड़कियों पर केंद्रित है। लेकिन पैमाना 32000 का है। यहां भी तीनों लड़कियों के लिए न्याय के नाम पर ही आंदोलन है। इस आंदोलन को कोई हाई प्रोफाइल सपोर्ट नहीं है। कोई बड़ा नेता कोई बड़ा कॉरपोरेट द्वारा खोज खबर की जहमत तो दूर, पूरे मामले को ही फर्जी बताने की कोशिश है। यहां भी सुप्रीम कोर्ट तक जाया गया, लेकिन न्याय की लड़ाई को रोकने के लिए। कई कई स्टेट्समैन न्याय की लड़ाई के विरोध में उतर गए। आम जनता इस न्याय की लड़ाई को कमजोर पड़ता देख अभिभूत हो गई।

आम जनता की आंखें खुली। कमजोर पड़ती इस न्याय की लड़ाई को अपनी लड़ाई बना लिया। कल इस लड़ाई की पहली परीक्षा थी। हाईप्रोफाइल लोगों ने समर्थन नहीं किया तो क्या, आम जनता के समर्थन ने न्याय के इस आंदोलन को जनआंदोलन बना दिया। जो काम बड़े बड़े कारपोरेट नहीं कर सके, बड़े बड़े राजनीतिक नेता नहीं कर सके, एक्टिविस्टों की भीड़ नहीं कर सकी, आम जनता ने कर दिखाया। ना केवल कर दिखाया बल्कि मेनस्ट्रीम मीडिया में भी अपने हिस्से की कवरेज को स्थान दिलवाया। दिन प्रतिदिन यह जनआंदोलन लगातार बढ़ता जा रहा है। देशव्यापी होता जा रहा है।

जब तक कोई आंदोलन जनआंदोलन ना बन जाए, तब तक वो आंदोलन बस एक प्रयोजन भर है। लेकिन जब एक प्रयोजन को जबरन आंदोलन का रूप देने की कोशिश की जाती है, तभी वह आंदोलन फर्जी आंदोलन कहा जाता है। लेकिन जब कोई बड़ी लड़ाई न्याय पाने की निष्ठा से लड़ी जाती है, तब बिना किसी प्रयास-प्रयोजन सहज ही वह लड़ाई एक जन आंदोलन का रूप ले लेती है। देश की ताकतवर शक्तियां, धन बल की शक्तियां, जितनी जल्दी हो इन बातों को समझ लें। क्योंकि नया भारत नैरेटिव का भारत नहीं है। नया भारत आम जनता का भारत है।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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