www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

क्या है राजनारायण और राहुल गांधी में फर्क?

-दयानंद पांडेय की कलम से-

Ad 1

Positive India:Dayanand Pandey:
एक समय था कि भारतीय राजनीति में राजनारायण अपनी अदाओं और अंदाज़ के चलते हास्य का पुट भरते रहते थे। राजनारायण इंदिरा गांधी के परम विरोधी थे। हमेशा इंदिरा के खिलाफ चुनाव लड़ते थे। यह राजनरायण ही थे जिन के एक मुकदमे के कारण इंदिरा गांधी का रायबरेली चुनाव अवैध घोषित हुआ था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन सिनहा ने राजनारायण के मुकदमे की सुनवाई की थी। इंदिरा गांधी ने इस फैसले से बौखला कर , कुर्सी छोड़ने के बजाय रातो-रात इमरजेंसी लगा दी। अंतत : 1977 में राजनारायण ने इंदिरा गांधी को रायबरेली से चुनाव में भारी मतों से हरा दिया। राजनारायण केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री बने। पर हंसने-हंसाने का काम नहीं छोड़ा। लोहियावादी राजनारायण को चौधरी चरण सिंह का हनुमान कहा जाता था। एक समय राज्य सभा को राजनारायण सभा भी कहा जाता था।

Gatiman Ad Inside News Ad

संयोग देखिए कि अब भारतीय राजनीति में हंसने-हंसाने के लिए इंदिरा गांधी के पोते राहुल गांधी को लोग जानते हैं। इतना कि लोग उन्हें लतीफ़ा गांधी भी कहते हैं। उन की निगेटिव और मूर्खतापूर्ण बातों के चलते उन को भाजपा का स्टार प्रचारक भी कहते हैं। कांग्रेस की नाव डुबोने के लिए भी वह परिचित हैं। हां , राजनारायण और राहुल गांधी में एक बड़ा फ़र्क़ है। राजनारायण लोगों को प्रत्यक्ष रूप से हंसाते थे। राहुल गांधी अमूमन अप्रत्यक्ष रूप से हंसाते रहते हैं। राजनारायण समझ जाते थे कि लोग क्यों हंस रहे हैं पर राहुल गांधी कभी नहीं समझ पाते कि आख़िर लोग हंस क्यों रहे हैं ! तो शायद इस लिए भी कि राजनारायण खांटी राजनीतिज्ञ थे। जब कि राहुल गांधी राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। घोर सामंती व्यक्ति हैं। लतीफ़ा गांधी ही हैं। हां , इस बीच में लालू प्रसाद यादव नामक एक जंतु की भी आमद हुई थी भारतीय राजनीति में जिन्हें लोग हंसने-हंसाने के लिए जानते थे। पर जल्दी ही इस जंतु की पहचान हंसने-हंसाने की जगह महाभ्रष्टाचारी , सामंती प्रवृत्ति और जातीय राजनीति के लिए हो गई।

Naryana Health Ad

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार है)

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.