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हिंदुओं को उनके मंदिरों को जला देंगे अगर उन्होंने हमारे गांवों में मंदिर बनाया तो

-तत्वज्ञ की कलम से-

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Positive India:Tatvagya:
जैसे बांग्लादेशी रोहिंग्या आते हैं,दिल्ली एनसीआर से लेकर उत्तराखंड और हिमाचल में,कहीं नौकर बनकर,कहीं मज़दूर बनकर,वैसे ही कुछ पीढ़ियों पूर्व,कश्मीर पर कब्ज़ा करने के लिए,मज़दूरों के रूप में घुसे इस अमन पसंद कौम की अगली पीढ़ी के विचार क्या हैं,उन हिंदुओं के लिए,जिनके घरों पर,जिनके मंदिरों पर इनके अब्बा और उनके अब्बा ने कब्ज़ा किया था,ये कह रहे हैं कि,”हम हिंदुओं को हमारे इलाके में नहीं आने देंगे,बर्दाश्त नहीं करेंगे हम हिंदुओं को,हम उनके मंदिरों को जला देंगे अगर उन्होंने हमारे गांवों में मंदिर बनाया तो।”

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वो इलाका,वो मोहल्ला,वो शहर,वो गांव,वो कश्मीर,जो हिंदुओं का था,वो हिंदू जिनके कारण इनको तीन वक्त का भोजन मिलता था,उन हिंदुओं के बारे में इनके विचार,
36 साल बाद भी,नहीं बदले हैं,और ना ही बदलेंगे।

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#राजधर्म की बहन “अर्चना तिवारी” ने अपनी जानी पहचानी बेबाकी से,कश्मीर की कब्जाधारी कौम की उस सोच को भारत और विश्व के हिंदुओं के समक्ष रखा,जो सोचते हैं,कश्मीरी लोग बहुत मासूम होते हैं,वो तो दिल्ली यूपी में ड्राई फ्रूट्स बेचने आते हैं,शिल्प हाट से लेकर दिल्ली हाट तक में उनकी ड्राई फ्रूट्स और पशमीना शॉल की दुकानें लगती हैं,तो हिंदुओं की भीड़ वहां मूंह उठा कर पहुंच जाती है,अन्य राज्यों के अच्छे स्टॉल्स का तिरस्कार करके,क्योंकि हिन्दुओं को अपने भाइयों बहनों के ऊपर अत्याचार करने वाली कौम से अपनी मोहब्बत दिखाने की,एक कभी न खत्म होने वाली,चुल्ल मची रहती है।

आप नेता नहीं हैं,आपको उनसे वोट नहीं लेना,तो फिर आप क्यों उनको इतनी मोहब्बत से ट्रीट करने पर आमादा रहते हैं?

कभी देखा है,किसी यहूदी को किसी जर्मन नाज़ी का महिमामंडन करते हुए?या देखा है फिलिस्तीनी हों या किसी भी राष्ट्र के अमन पसंद कौम वाले हों,इजरायल का पक्ष लेते हुए?वो नहीं लेंगे,क्योंकि उन्हें पता है,वो उनके शत्रु हैं,उनकी हर पीढ़ी को बताया गया है,रटाया गया है,कि,वो उनके शत्रु हैं,और उन्हें उनका मौका मिलते ही विरोध करना है,
और समय आने पर हिंसक भी होना है।

वो अपना शत्रु बोध नहीं भूले हैं,कश्मीरी कब्जाधारी कौम भी अपना शत्रु बोध नहीं भूली है,पर हिंदू चाहे कश्मीरी हिन्दू हों,या भारत या विश्व में रहने वाले हिंदू उनको शत्रुबोध स्मरण रखना,कंफर्टेबल नहीं लगता,क्योंकि वो चाहता है,उसके काम चलता रहे,फायदा होता रहे,धर्म जाए भाड़ में,वो दिक्कत आने पर भाग जाएगा,अपने ऊपर हुए अपराधों को भूल जाएगा,
अपने शत्रुओं को क्षमा कर देगा..

जयद्रथ को क्षमा करके क्या मिला था पाण्डवों को?
सात महारथियों द्वारा अभिमन्यु की नृशंस हत्या..

क्या अर्जुन को और बाकी पाण्डवों को,उन सात महारथियों और उनके सहयोगियों को,क्षमा कर देना चाहिए था?

क्या अर्जुन को और बाकी पाण्डवों को उनसे शत्रुबोध ना रखते हुए,उनसे वैसा ही व्यवहार करना चाहिए था,जैसे आज के हिंदू कश्मीरी कब्जाधारियों के साथ करते हैं?

उत्तर है “नहीं”

और ये कटु सत्य योगेश्वर श्री कृष्ण ने अर्जुन को और बाकी पाण्डवों को समझाया,उन्होंने समझाया,असली और नकली शुभचिंतकों का फ़र्क,और किसे कितनी महत्ता देनी है,किसे दंडित करना है,और किसका साथ देना है।

कृष्ण को पाना है,धर्म की स्थापना करनी है,तो ऐसे कब्जाधारी संबंधियों और उनके सहयोगियों से भी संबंध तोड़ने होंगे..

निर्मोही होना होगा..
निर्मोही ही धर्म की स्थापना कर पाएंगे..
मोह–ग्रस्त हिंदू,मजबूर होकर,
अपना और अपने अपनों समेत,पूरे समाज का,
धर्म परिवर्तन करवा डालेंगे!

पाण्डवों ने क्या मांगा था?अपने मूल अधिकार से भी कम,मात्र पांच गांव,कब्जाधारी दुर्योधन वो भी दे ना सका,उसके सारे कुकृत्य में साथ देने वाला कर्ण हो,या चुप रहने वाले पितामह भीष्म या गुरु द्रोण हों,सब दोषी थे,और कृष्ण ने उन्हें,उनका दंड दिलवाया।

कृष्ण शत्रुबोध करवाते हैं,महाभारत शत्रु बोध करना सिखलाती है,धर्म की स्थापना हेतु,अंत में युद्ध करना ही पड़ता है,कलियुग में अपना अधिकार मांगने से नहीं मिलता,उसे छीनना पड़ता है।

शायद इसलिए कुछ तथाकथित हिंदू धर्म के ज्ञाता,इसे पढ़ने से,घर में रखने से रोकते हैं हिंदुओं को,क्योंकि इससे हिंदू जागृत हो जाएगा,वो असली शुभचिंतकों और कश्मीरी कब्जाधारी कौम जैसे मौकापरस्त शुभचिंतकों में फ़र्क करना सीख जाएगा,वो सीख जाएगा कि नकली शुभचिंतकों को ढोने की आवश्यकता नहीं है,वो सीख जाएगा कि,परिजीवियों को पालने पोसने की आवश्यकता नहीं है,बल्कि उनका परित्याग,बहिष्कार,विरोध और समय आने पर,धर्म की स्थापना हेतु वध करना ही,
उसका नैतिक धर्म है..

बहुसंख्यक हिंदू जागृत होना नहीं चाहता,वो कंफर्ट तालाश्ता है,पर अगर आप कृष्ण के उपासक हैं,तो आपको कंफर्ट नहीं मिलेगा,आपको युद्ध के लिए तैयार होना होगा,उनसे लड़ना होगा,जिनसे आप लड़ने से बच रहे हैं,और वो हैं कि,एक के बाद एक आपके ही राज्य आपसे छीनते जा रहे हैं।

कौरव कोई ऐसे अच्छे संबंधी नहीं थे,उन्होंने बचपन से पाण्डवों का अधिकार उनसे छीनने का,उनकी हत्या करने का प्रयास किया था,उन्होंने द्रौपदी का चीरहरण तक किया था,तो फिर कैसा संबंध बचा?कैसा प्रेम?कैसी क्षमा?

हिंदुओं को दंडित करना सीखना पड़ेगा,नहीं तो वो अपनी अगली पीढ़ियों को एक अंतहीन दंड की अग्नि में झोंक देंगे,फिर न कृष्ण मिलेंगे,ना कृष्ण की उपासना करने का अधिकार,
और धर्म,वो तो रहेगा ही नहीं।

जैसे कश्मीर में हुआ,जैसे बंगाल में हो रहा है,जैसा बांग्लादेश में हो रहा है,जैसा तेलंगाना में तिरुपति मंदिर में हुआ,जैसा कल मुंबई में हुआ,जैसा हर जुम्मे को,
हर शोभा यात्रा पर होता है..

वो होता रहेगा,और आप बस अपने घर को,अपने राष्ट्र को शनै शनै जलता,और फिर उस पर उनका कब्जा होते देखते रहेंगे,फिर सोचेंगे काश कृष्ण की सुन लेते,
काश ये..काश वो…

काश काश में रहे,इसलिए कश्मीर गंवा दिया….
अब कृष्ण के साथ रहो,ताकि राष्ट्र बचा सको..

जय जय श्री कृष्ण🙏🏻☝🏻🚩

साभार:✒️ तत्वज्ञ देवस्य-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
आश्विन कृष्ण अष्टमी
🌝 बुधवार,२५ सितंबर २०२४
विक्रम संवत् २०८१

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