कठिन से कठिन समय में भी धैर्य नहीं खोना चाहिये
कैसै कांग्रेस और कम्युनिस्टों ने ममता को वापस लाने के लिये अपने अस्तित्व को खत्म कर लिया?
Positive India:Ajit Singh:
#त्याज्यं_न_धैर्यं_विधुरेऽपि_काले
…अर्थात कठिन से कठिन समय में भी धैर्य नहीं खोना चाहिये।
मोदीजी को हराने के लिये देश का पूरा विपक्ष ही नही बल्कि मदरसों,मिशनरीज के साथ विदेशी ताकते भी गठजोड़ कर चुकी हैं…..क्यों??
क्योकि वो सिर्फ मोदी नही,वरन् हिन्दू धर्म,RSS और हिंदुस्तान के गौरव के विरूद्ध है……दोगले और आजादी के बाद से मलाई चाटने वाले चमचों का एक बड़ा वर्ग,जिनकी घुसपैठ लोकतंत्र के चारो खम्बों मे बड़ी संख्यां मे है…वो इनके स्लीपर सेल हैं,जो वक्त जरूरत मदद करते हैं…!!
इन्ही सब को लेकर बात की जाय कल सम्पन्न हुये पांच राज्यों के चुनावो की….!!
आखिर आप निराश क्यों हैं…क्यो धैर्य खो रहे हैं..आप पराजित कहां हुये हैं..जो शोकाकुल हैं….दरअसल आपकी अपेक्षायें एक ऐसे राज्य से बहुत अधिक हो चुकी थी,जहां हिंदूवादी दल कभी सत्ता मे रहा ही नही…जो रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की मंडी बन चुका है…वहां आपको सत्ता दिखने लगी थी…वही स्वप्न टूटने पर आप दुखी हैं…वास्तव मे आप सोच नही पा रहे हैं या कहिये आपको सोचने नही दिया जा रहा है कि बंगाल जैसी हिंदुत्व के लिये बंजर बनाई जा चुकी धरती पर आप २५-३० गुना अधिक विकसित हो चुके हैं…और जब आज विकसित हो चुके हैं तो कल पल्लवित होकर खिलेंगे भी….हां एक बात और आज जो आप निराश और परेशान हैं न..उसके पीछे एक बड़ा कारण है कि अपने विरोधियों के फैलाये मायाजाल मे बड़ी आसानी से फंस जाते है और अकारण चित्कार करके अपने सहोदरों और लड़ाकों का भी मनोबल कम करने लगते है…यही तो आपके धुर विरोधी चाहते है और यही आप करने लगते हैं…कर भी रहे हैं…कल से आपकी पीड़ा देख रहा हूं…..क्यों नही विश्वास करते कि दोनो शेरों ने जब कश्मीर के विषैले कांटों को उखाड़ फेंका तो बंगाल किस खेत की मूली है…..!
खैर…..आप असम मे अधिक मजबूत होकर वापसी किये हैं,पुडुचेरी मे आपके हाथ मे कुर्सी है…तमिलनाडु और केरल मे न केवल आपका वोट % कई गुना बढ़ा है बल्कि वहां आपने सनातन राष्ट्रवाद का ऐसा बीज बो दिया है,जिसके वृक्षों की सुगंध आपको आने वाले समय मे ऊर्जा से भर देगी….लेकिन अधीर मन:स्थित आपको इतनी गंभीरता से कहां सोचने देगी….!!
दूसरी ओर जरा कांग्रेस की तरफ देखिये….जिसका सब कुछ लुट गया..लेकिन वो अपनी रक्तजनित बेहयाई से पूंछ झाड़ कर कभी जेहादन,कभी स्टालिन तो कभी विजयन को बधाई देते हुये बेशर्मी से चुनाव परिणामो को बीजेपी की हार बता कर किन्नर डांस कर रही है…देखिये और सोचिये कि बंगाल मे बीजेपी का विजय रथ रोकने के लिए कांग्रेस और कम्युनिस्टों ने ममता को वापस लाने के लिये अपने अस्तित्व को खत्म कर लिया…क्योंकि बीजेपी न आ जाये…बीजेपी के आने का मतलब है कि घुसपैठियों का रास्ता बंद…तुष्टीकरण की एक और दुकान बंद….भारत तेरे टुकडे होने का नारा लगाने वालों को पैदा करने का एक और प्रसूति केंद्र बंद…यह सब इसलिये बता रहा हूं कि जरा बंगाल चुनाव का परिणाम गंभीरता से देखिये कि आप कितनी सीटे जीते हैं और करीब सौ सीटे आपने लगभग ५००-१००० वोटों के अंतर पर खो दी हैं…अगर यह भी मिल जाती तो….??
बताइये आप कहां हारे हो और क्यों निराश हैं??
वास्तव मे असलियत तो यह है कि आप सोच ही नही रहे हैं कि क्यों दरगाह वाले सिद्दीकी,ओवैसी ने भी कांग्रेस और कम्युनिस्टों की तरह चुप्पी साध कर अपने वोटों को जेहादन की तरफ मोल्ड कर दिया…मतलब कि करीब २५-३२% मुस्लिम,करीब १२-१५% सेकुलर,लिबरल और मिशनरी वोटो के साथ मिल कर जेहादन को अविश्ववसनीय जीत दिला दिये….मुझे यह कहने मे जरा सा संकोच नही है कि संगठित होना सीखना हो तो हरे टिड्डों से सीखना चाहिये….कि एक हरा टिड्डा कितना शातिर वोटर है इसका अनुमान लगाइए कि उसने ना तो लेफ्ट को वोट दिया और ना ही कांग्रेस को,उसने सिर्फ उसको(टीएमसी) ही वोट दिया जो बीजेपी को हरा सके…..क्योंकि उसको अच्छी तरह से पता है कि अपना वोट बर्बाद करने से कोई लाभ नहीं..और एक हम हैं??
बहरहाल अब मान कर चलिये कि ऐसे ही ट्रेंड आने वाले चुनावो मे भी दिखेंगे…जहां एक तरफ आपको वो बहका कर भड़कायेंगे तो दूसरी तरफ खुद अंदरखाने मे एकजुट रहेंगे…क्योंकि मोदी से आमने सामने की लड़ाई करके वो समझ चुके हैं कि पराजय के सिवा और कुछ नही मिलेगा..इसीलिये वो यही तरीका बार बार अाजमायेंगे……….खैर स्वास्थ ठीक न होने कारण और कुछ न लिख पाऊंगा…लेकिन चिंतित हूं कि देश का हिंदू कब अपनी अधीरता और अपना फुफ्फापना त्यागेगा…कब अपने नायको को पहचानेगा…और कब अपने शत्रुओं को पहचान कर उनकी साजिशों को समझने मे सक्षम होगा…ये तो रामजी जाने….लेकिन पुन: कहूंगा कि बंगाल की जनता और अपने कार्यकर्ताओं पर सवाल न उठायें….उन्होने ही बलिदान देकर आपको सम्मानजनक सीटे ही नही दिलाई बल्कि करीब सौ जिन सीटो पर आप १०००-५०० के अंतर से हारे है,वो भी न मिलती…….वहां के बलिदानी कार्यकर्ताओं का बलिदान व्यर्थ न करिये….आप द्वारा उनके मनोबल को बढ़ाना चाहिये,साथ ही केन्द्र को मुखर होकर उनकी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिये…वरना जख्मी जेहादन मौका पाकर उन्हे इतना कुचल देने की कोशिश करेगी कि आने वाले समय न तो कोई बीजेपी का झंडा उठाने वाला मिलेगा और न ही किसी के मुंह से जय श्रीराम निकलेगा….क्योंकि जेहादन के गुंडों से पीड़ित भगवा भक्तों के लिये दो शब्द बोलने की जगह..पैसों पर बिक चुकी भांड मीडिया और उसके चम्मचचोर पत्तलकार अपने हर छेद मे फेवीकोल चिपका कर कोरोना पर केंद्र की कमियों को नाटकीय ढ़ंग से बता कर अपने चाटे गये नमक का कर्ज अदा करने को प्रथमिकता देंगे…….वो बेचारे अकेले तड़पते रह जायेंगे…!!
#वंदेमातरम्
#Ajit_Singh
साभार:अजीत सिंह-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)