विश्वनाथ प्रताप सिंह ने सिर्फ मंडल लागू कर ही देश को नहीं जलाया था बल्कि कश्मीरी पंडितों को भी बेवतन करने में अपना कमीनापन खूब दिखाया था
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India:Dayanand Pandey:
विश्वनाथ प्रताप सिंह ने सिर्फ मंडल लागू कर ही देश को नहीं जलाया था। कश्मीरी पंडितों को भी बेवतन करने में अपना कमीनापन खूब दिखाया था। मुफ्ती मोहम्मद सईद जैसे कमीने को केंद्रीय गृह मंत्री भी बनाया । इस कमीने मुफ्ती ने अपनी ही बेटी यानी महबूबा मुफ्ती की बड़ी बहन रुबिया सईद का अपहरण का ड्रामा कर दिया। और इस रुबिया को छुड़ाने के लिए आतंकियों को छोड़ दिया। सोचिए कि क्या ड्रामा था। दो धुर विरोधी , भाजपा और वामपंथियों के समर्थन से 2 दिसंबर , 1989 को प्रधान मंत्री बने विश्वनाथ प्रताप सिंह और 8 दिसंबर को रुबिया का अपहरण हो गया। विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में पहला मुस्लिम गृह मंत्री था मुफ्ती मोहम्मद सईद। जे के एल एफ़ के लोगों ने रुबिया का अपहरण किया था , मुफ्ती की मिलीभगत से । यासीन मलिक भी अपहरणकर्ताओं में एक था। बहरहाल , रुबिया के बदले 5 खूंखार आतंकियों को छोड़ा गया। अब इसी के बाद से कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को मारा, पीटा जाने लगा। कश्मीरी पंडितों की औरतों के साथ बलात्कार शुरू हो गया। घरों में आग लगाई जाने लगी।
मस्जिदों से माइक पर ऐलान होने लगा , पोस्टर लगने लगे कि कश्मीरी पंडित अपनी औरतें और घर छोड़ कर भाग जाएं। औरतों के सामूहिक बलात्कार के बाद उन्हें जिंदा आरा मशीनों में चीरा जाने लगा। मंदिरों को तोड़ कर नदियों में बहाया जाने लगा। लेकिन विश्वनाथ प्रताप सिंह , मुफ्ती , और तत्कालीन मुख्य मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने न यह सब कुछ न देखा , न सुना। नतीजतन लाखो कश्मीरी पंडित बेघर हो गए। आज तक बेघर हैं। शरणार्थी शिविरों में हैं। विश्वनाथ प्रताप सिंह की तब सारी चिंता मंडल लागू कर देश के नौजवानों का भविष्य नष्ट कर देश को जातीय आग में झोंकने और मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा रोकने की थी। गरज यह कि विश्वनाथ प्रताप सिंह ने न सिर्फ देश को जातीय आग में झोंक दिया बल्कि कश्मीर और कश्मीरी पंडितों को भी आग में झोंक दिया था। जैसे आज नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर में अमन-चैन कायम करने के लिए सेना उतार दिया है , कश्मीरी पंडितों को बचाने के लिए क्या विश्वनाथ प्रताप सिंह को भी कश्मीर में तब सेना नहीं भेज देनी चाहिए थी ? तब शायद देश का , कश्मीर का और कश्मीरी पंडितों का मुकद्दर कुछ और होता। अफ़सोस कि विश्वनाथ प्रताप सिंह ने देश का बहुत ज़्यादा नुकसान किया।
साभारः दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)