काले पानी की सेल्यूलर जेल की अनकही कहानियां
स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी पंडित रामरक्खा की अनकही कहानी।
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
अंडमान सेल्युलर जेल की बात और आगे बढ़ाते है । आजादी के लिए युवाओ मे जोश था । देश के कारण न उन्होंने परिवार की चिंता की न अपनी । एक क्रांति के लिए निकल पड़े, उन्हे मालूम था कि वे जिस राह को चुन रहे वो काफी मुश्किलात वाला था । सजा मे किसी को काले पानी की सजा का मतलब ही था कि उसका वापस आना मुश्किल ही नही, नामुमकिन भी था । जेल की तकलीफ सुनने से ही सिहरन उठने लगती है । किसी को तड़पा तड़पा कर जिंदा रखने का नाम ही सेल्युलर जेल था । चलो आज शहीद पंडित रामरक्खा की शहादत के बारे मे बात की जाए । पंडित रामरक्खा सुपत्र श्री जवाहिर राम, निवास स्थान सदर होशियार पुर पंजाब था ।
मांडले षड्यंत्र कांड रचने के लिए और उसमे भाग लेने के लिए शहीद पंडित रामरक्खा जी को काले पानी की आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर हुई । जिस जनेऊ को अभी के एक तत्कालीन नेता ने कुर्ते के उपर से पहना और अपने को जनेऊधारी ब्राह्मण बताकर चुनाव मे लाभ लेने की कोशिश की, ऐसे नेताओ को एक बार पंडित रामरक्खा जी को पढ लेना चाहिए या इनकी पूरी मालूमात निकाल लेनी चाहिए । हिन्दू धर्म मे विशेषकर ब्राम्हण मे जनेऊ का कितना महत्वपूर्ण स्थान है यह पंडित रामरक्खा जी को जानने से पता चलता है । दुर्भाग्य से इस नेता ने जनेऊ को अपने चुनाव का हथियार बनाने मे भी कोई संकोच नही किया। स्वाभाविक है, जिसके बारे मे जानते नही तो ऐसे ही ओछी हरकत अपेक्षित है । खैर काले पानी के आजन्म कारावास के सेल्यूलर जेल के कैदी ( स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी ) पंडित रामरक्खा को जेल अधिकारियो ने जनेऊ धारण करने पर आपत्ति की। पंडित जी ने इसका प्रतिवाद किया और भूख हड़ताल का आश्रय लिया । पूरे तीन महीने भूख हड़ताल पर रहे, अंत मे सन 1911 को शहीद हो गए । पर इस हालत मे भी उन्होंने घुटने नही टेके । एक जनेऊ का संस्कार कितना महत्वपूर्ण होता है, इसकी जीती जागती मिसाल शहीद पंडित रामरक्खा जी है । काश! यह देश इन शहीदो से परिचित रहता तो आजादी की कीमत समझता । आज इस शहीद को भावपूर्ण श्रद्धापूर्वक नमन ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर