www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

बंगाल में ममता बनर्जी के लिए चुनावी हवा उलटी और बहुत तेज बह रही है।

प्रधान मंत्री मोदी के खिलाफ ममता बनर्जी खुलेआम मंच से भद्दी गाली गलौज पर उतारू

laxmi narayan hospital 2025 ad

Positive India:Satish Chandra Mishra:
देश ने ऐसा चुनावी नजारा आज से 44 साल पहले देखा था। बंगाल में ममता बनर्जी के लिए चुनावी हवा उलटी और बहुत तेज बह रही है। बंगाल की स्थितियां तो यही संदेश दे रही हैं।

दो तीन दिन से देख रहा हूं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ममता बनर्जी खुलेआम मंच से भद्दी गाली गलौज पर उतारू हो गयी है। कल ममता बनर्जी को अपने मंच से प्रधानमंत्री मोदी को डाकू गुंडा लुटेरा और “साला” तक कहते हुए देखा तो मुझे यह आभास हो गया कि बंगाल का चुनाव परिणाम किस दिशा में बढ़ रहा है। एक महिला मुख्यमंत्री वह भी उस बंगाल सरीखे प्रदेश की, जिस बंगाल की भाषा संस्कृति का देश में विशेष स्थान है, विशेष सम्मान है। वह मुख्यमंत्री यदि भद्दी गाली गलौज पर उतारू हो जाए तो निश्चित मानिए कि उसे अपनी पराजय बिल्कुल साफ दिखाई दे रही है। परिणामस्वरूप अपनी भाषा, आपने मानसिक संतुलन पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। यह सच है कि ममता बनर्जी देश के सर्वाधिक बदतमीज नेताओं में से एक है। लेकिन सच यह भी है कि ममता बनर्जी की बदतमीजी उसी समय उभर कर सामने आती है जब स्थितियां उसके विपरीत हों। अतः दो तीन दिन पूर्व से शुरू हुई ममता बनर्जी की गाली गलौज यह स्पष्ट कर गयी है कि फ़िलहाल चुनावी स्थिति ममता बनर्जी के बिल्कुल विपरीत हैं। केवल ममता ही नहीं बल्कि उसकी फौज के हावभाव भी यही संकेत दे रहे हैं। दो दिन पूर्व बुधवार को टाइम्स नाऊ चैनल बंगाल का ओपिनियन पोल दिखा रहा था और बहुत बड़े अंतर से TMC की जीत भी पक्की बता रहा था। लेकिन एक घंटे की उस पूरी “ओपिनियन पोल” लीला के दौरान मौजूद रहे TMC प्रवक्ता रिजिजू दत्ता और तौसीफ खान के चेहरे से हंसी उसी तरह गायब दिखी जैसे गधे के सिर से सींग। उस ओपिनियन पोल का अपना पोथीपत्रा लेकर बैठे सैफ़ॉलोजिस्ट का चेहरा भी बुरी तरह लटका हुआ था। सम्भवतः जन्नत की हकीकत से वो भी परिचित हो चुके हैं।
इस बार के बंगाल चुनाव का एक तथ्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यह तथ्य बंगाल के चुनाव परिणाम की भविष्यवाणी भी कर रहा हैं। अपने अब तक के जीवन में मैं यह पहली बार देख रहा हूं कि बंगाल की आम जनता वहां हो रहे चुनाव के बारे में खुलकर बात करने से परहेज कर रही हैं। TMC के गुंडों के भय के कारण भाजपा कांग्रेस वामदलों के पक्ष में बात ना करने की बात तो समझ में आती है। लेकिन आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि आम जनता TMC के बारे में भी खुलकर बात नहीं कर रही। न्यूजचैनलों के चुनावी हुड़दंग की सभाओं/कार्यक्रमों में हर दल के नेता आम जनता के भेष में अपने कार्यकर्ताओं/समर्थकोँ की भीड़ लेकर आते हैं। अतः उनका कोई महत्व नहीं। लेकिन राह चलते आम नागरिकों से वही न्यूजचैनल और दर्जनों यूट्यूब पोर्टल जब बात करने की कोशिश कर रहे हैं तो आम नागरिक कुछ भी स्पष्ट बोलने से मना कर रहा है। यदि ममता बनर्जी और उसकी सरकार बंगाल में बहुत लोकप्रिय है तो लोगों को उसके पक्ष में बोलने से संकोच क्यों हो रहा है.? आम नागरिकों की यह चुप्पी तूफान से पहले की शांति सिद्ध हो सकती है।
इससे पहले देश ने ऐसा नजारा आज से 44 साल पहले देखा था। जब आपातकाल हटने के तत्काल बाद हुए चुनाव में संजय गांधी के गैंग के भय से सहमी जनता कुछ बोल नहीं रही थी लेकिन जब चुनाव परिणाम आया था तो इंदिरा गांधी और संजय गांधी तक को बहुत शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा था। उस समय भी विपक्षी नेता और उनके समर्थक तो मुखर थे। लेकिन आम जनता चुप्पी साधे रही थी। जनता की उस चुप्पी को इंदिरा संजय की जोड़ी समेत पूरी कांग्रेस ने यह मान लिया था कि जनता में उनके प्रति कोई नाराजगी नहीं है।
उपरोक्त तीनों तथ्य फिलहाल यह तो बता रहे हैं कि बंगाल में ममता बनर्जी के लिए चुनावी हवा उलटी बह रही है और बहुत तेज बह रही है, जो ममता बनर्जी की कुर्सी को उड़ा कर ले जा सकती है।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Leave A Reply

Your email address will not be published.