Positive India Delhi 17 June 2021
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि ट्विटर मध्यस्थ नियमों का पालन करने में विफल रहा और उसने कई अवसर मिलने के बावजूद ‘‘जानबूझकर’’ इनका पालन ना करने का रास्ता चुना।नियमों का पालन ना करने को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर निशाना साधते हुए प्रसाद ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि स्वयं को स्वतंत्र अभिव्यक्ति के ध्वजवाहक के रूप में पेश करने वाला ट्विटर, जब मध्यस्थ दिशानिर्देशों की बात आती है तो जानबूझ कर अवज्ञा का रास्ता चुनता है।
प्रसाद ने स्वेदशी सोशल मीडिया मंच ‘कू’ पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘ इस बात को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्विटर संरक्षण प्रावधान का हकदार है। इस मामले का सामान्य तथ्य यह है कि ट्विटर 26 मई से लागू हुए मध्यस्थ दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहा है।’’
संरक्षण (हार्बर) प्रावधान, एक कानून या विनियम का प्रावधान है जो निर्दिष्ट करता है कि किसी निश्चित आचरण को, दिए गए नियम का उल्लंघन करने वाला ना माना जाए।
मंत्री ने इस मामले के संबंध में ट्वीट भी किया। प्रसाद ने कहा कि ट्विटर को कई अवसर दिए गए, लेकिन उसने जानबूझकर इनका पालन ना करने का रास्ता चुना।
उन्होंने कहा,यह हैरान करने वाली बात है कि ट्विटर देश के कानून द्वारा अनिवार्य व्यवस्था स्थापित करने से इनकार कर अपने उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) की शिकायतें दूर करने में विफल रहा है। इसके अलावा, अपनी पसंद-नापसंद के आधार पर ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ (छेड़छाड़ किया हुआ) करार देता है।’’
मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो कुछ भी हुआ वह फर्जी खबरों से निपटने के ट्विटर के ‘‘मनमानेपन’’ का उदाहरण था।
उन्होंने कहा, जबकि ट्विटर अपने तथ्य-जांच तंत्र के बारे में अति उत्साही रहा है, तब भी उत्तर प्रदेश जैसे कई मामलों में कार्रवाई करने में उसकी विफलता चौंकाने वाली है और साथ ही गलत सूचना से निपटने में उसकी असंगति की ओर इशारा करती है।’’
गौरतलब है कि गाजियाबाद के लोनी में एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ कथित रूप से मारपीट के मामले में ट्विटर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
प्रसाद ने कहा कि भारतीय कम्पनियां, चाहे वह दवाइयों की कम्पनियां हो या आईटी की या अन्य कम्पनियां जो अमेरिका या अन्य देशों में व्यापार करती हैं, स्वेच्छा से स्थानीय कानूनों का पालन करती हैं।
मंत्री ने सवाल किया, ‘‘ फिर ट्विटर जैसे मंच दुर्व्यवहार और दुरुपयोग के शिकार लोगों की मदद के लिए बनाए गए भारतीय कानूनों का पालन करने में अनिच्छा क्यों दिखा रहे हैं?’’
उन्होंने कहा कि भारत का आकार बहुत बड़ा है और संस्कृति बहुत विविध है कुछ परिदृश्यों में, सोशल मीडिया के प्रसार के जरिए एक छोटी सी चिंगारी भी आग का कारण बन सकती है, खासकर फर्जी समाचारों के चलते।
प्रसाद ने कहा, यह मध्यस्थ दिशानिर्देश लाने के उद्देश्यों में से एक है। ट्विटर ने आईटी के नियमों का पालन ना करने और बार-बार कहने पर भी अनिवार्य प्रमुख कर्मियों को नियुक्त ना करने के कारण भारत में ‘संरक्षित प्रावधान’ के जरिए मिलने वाली रियायत खो दी है और अब भारतीय दंड संहिता के तहत उस पर कार्रवाई की जा सकती है, जो उसके लिए एक बड़ा झटका है। साभार पीटीआई