Positive India:Dr Chandrakant Wagh: आज चुनावी मुद्दे दुर्भाग्य से व्यक्ति पर ही केंद्रित हो गये हैं । अब तो हालात ये हो गये है कि हम लोग अमेरिका की भांति यहा पर भी प्रधानमंत्री का ही चुनाव कर रहे है । इस चुनाव मे जहां एन.डी.ए के तरफ से श्री नरेंद्र मोदी के नाम से चुनाव मे प्रचार जोरो से चल रहा है । वही कांग्रेस भी अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी के नाम से चुनाव मे उतरी है । पर महागठबंधन मे तो ऐसा है वहां सभी इस पद के दावेदार है । पहला ऐसा गठबंधन जिसमे छत्तीस का आंकड़ा था वो मानवीय प्रधानमंत्री मोदी के नाम से देश हित व प्रदेश हित के नाम से एक छत्री मे इकट्ठा हुए है जबकि सच्चाई तो यह है कि ये अपनी साख बचाने के नाम से मजबूरी के चलते एक हुए है । ये तीन दलो के गठबंधन मे सपा बसपा ही मुख्य है । 37 सीट मे समझौता के तहत अलग अलग चुनाव लड़ने वाले प्रधानमंत्री कैसे बनेंगे, यह भगवान ही मालिक है । ऐसा कौन-सा गणित है जो इन्हे इस पद पर पहुंचा रहा है? इससे ये भी परिचित नही है । वही उ.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने भी इस नाम पर घोषणा करते समय सावधानी बरतते हुए मात्र यह कहा अगला प्रधानमंत्री यूपी से होगा । पर उन्होंने कभी साफ नही कहा कि मायावती जी गठबंधन की नेता होंगी । इसका मतलब साफ है कि समय आने पर अपने पत्ते जरूर खोलेंगे । वैसे भी यह गठबंधन सिद्धांतो का न होकर मजबूरी के तहत हुआ है । अब तीसरी प्रधानमंत्री की मजबूत दावेदार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस पद पर अप्रत्यक्ष रूप से अपनी दावेदारी की है । मात्र बयालीस सीट पर लड़ने वाली तृणमूल की ममता कैसे प्रधानमंत्री कैसे बनेंगी यह भी यक्ष प्रश्न है । एक और है दावेदार जिनको लग रहा है कि इन हालात मे उनके नाम पर भी चर्चा हो सकती है । एक बात माननी पड़ेगी, कोई किसी को नही चाह रहा है पर सबको एक दूसरे का राजनीतिक सहयोग भी चाहिए । पर पुनः मुद्दे पर, क्यो नही संविधान पर अमेरिका जैसे संविधान की मांग की जाती ? आज प्रत्याशी कौन है किसी को मतलब नही है, पूरा चुनाव पांच छह चेहरो के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है । यहां ये साफ है प्रत्याशी की जगह हार जीत भी चेहरो की है । पर इन सब चेहरो मे मोदी जी ही सशक्त और लोकप्रिय चेहरा है । कौन जीत दर्ज कर रहा है ये गौण हो गया है । प्रत्याशी भी ये महसूस करने लगा है। अच्छा होता एक बार इस पर विचार कर व्यक्ति आधारित या पद आधारित चुनाव पर गंभीरता से मंथन होता। इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है ।
लेखक:डा.चंद्रकांत रामचंद्र वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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