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विद्याचरण शुक्ल की पुण्यतिथि पर विशेष

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
आज विद्याचरण शुक्ल जी की की पुण्यतिथि है । उन्हें नमन तथा सादर प्रणाम । उनके साथ कांग्रेस के प्रथम पंक्ति के लोग भी शहीद हुए है, उसमे मध्यप्रदेश के पूर्व गृहमंत्री नंदकुमार पटेल भी शामिल है । इसके बाद भी इस नरसंहार मे शामिल लोग इतने सालों के बाद भी बेनकाब नही हुए है । इससे दुखद स्थिति क्या हो सकती है? आज भी यह जांच किस गलियारे मे पड़ी है ये किसी को पता नही है । पूर्व केंद्रीय मंत्री नौ बार के सांसद रहे स्व. विद्याचरण शुक्ल की जांच मे इतनी कोताही है, इसके मायने क्या होंगे? क्यो नही कांग्रेस ने सशक्त विपक्ष का रोल अदा करते हुए सरकार को घेरा ? इतिहास गवाह है जितनी भी राजनीतिक हत्याएँ हुई है उसकी जांच कभी भी मुकाम पर नही पहुंची है ।

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कई बार तो ऐसा लगता है कि सरकार तथा राजनेता इस तरह की राजनीतिक हत्याओं की जांच को मुकाम तक पहुंचाना ही नहीं चाहते । इसके पहले भी स्व.श्यामप्रसाद मुखर्जी, जो काश्मीर जेल मे शहीद हुए, वहीं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व.लालबहादुर शास्त्री, जिनकी ताशकंद मे संदेहास्पद मृत्यु हुई, भारतीय जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष स्व.दीनदयाल उपाध्याय की मुगलसराय में ट्रेन में संदेहास्पद मौत भी आज भी पहेली बनी हुई है । जहां इतने बड़े राजनेताओ की मृत्यु से देश अंजान है वहीं इसके सूत्रधार तक न पहुंच पाना यह हमारे सिस्टम की बड़ी विफलता ही है । कई बार तो ऐसा महसूस होता है की इसे अंजाम तक पहुंचाने मे किसी को भी इंटरेस्ट नही है । वो यही चाहते है कि ये ठंडे बस्ते मे पड़े रहे, बाद मे लोग अपने आप भूल जाऐंगे । यही राजनीति का मूल मंत्र है ।

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आज विद्याचरण जी की पुण्यतिथि है सादर प्रणाम । एक बार जरूर कहूंगा कि इस राजनेता मे डर नाम की चीज नही थी । अपने छोटे से छोटे कार्यकर्ता को नाम से पहचानना इन्हे दूसरे राजनेताओं से अलग करता है । विषम परिस्थितियों मे भी लड़ाई लड़ने की जिद्द का दूसरा नाम विद्या भैया था ।

लेखक:डॉ चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं

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