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कर्मयोगी “राजेंद्र दादा” को नि:शब्द संतप्त श्रद्धाजंलि

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Positive India:By Ashish Mishra
**** – डॉ राजेन्द्र कुमार मिश्रा******
सोच और आलेख की अपनी जिम्मेदारियों के बीच आज मैंने पाया कि कुछ शख्सियत ही ऐसी होती है ,जिनके सामने शब्द खुद ब खुद झुककर उनका अभिनंदन करते हैं। शब्दों के संसार से आज फिर शब्द चुनने हैं और वह भी हमारे परिवार के मुखिया, मार्गदर्शक , जबलपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन,ख्यातिलब्ध नेत्र सर्जन ,महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ ज्वाला प्रसाद मिश्रा के ज्येष्ठ पुत्र डॉ राजेंन्द्र कुमार मिश्रा जैसी बड़ी शख्सियत के लिए, जिनका पूरा जीवन संयमित,अनुशासित, मुस्कान और विनम्र व्यवहार कुशलता से लबरेज रहा। उम्मीद की रोशनी की चाहत रखने वाले मरीजों के अलावा उनसे प्रशिक्षित चिकित्सकों, परिवार ,समाज, दोस्तों,जान पहचान के हर शख्स के आंखों में उनका जीवन वृतांत का एक न एक अध्याय जरुर शामिल मिला। आत्मप्रवंचना से हमेशा दूर उनके दिलचस्प जीवन यात्रा का बेहतरीन सिलसिला गुजरे हर पड़ाव पर कुल गौरव के रूप में एक सशक्त हस्ताक्षर बनकर पूरी हुई। जीवन परिदृश्य में बड़ी मां के प्रति सम्मान,छाया के मानिंद जीवन साथी के साथ साहचर्य का समावेश, निर्णयन में सहबंध का अद्भुत मिश्रण भावी पीढ़ी के लिए सार्थक संदेश है।
देश विदेश में प्रख्यात नेत्र सर्जन के रूप में परिवार का मान उन्होंने बढ़ाया ही,उससे कहीं अधिक पीढियों के संस्कार, मर्यादित व्यवहार का पूरा आभामंडल उनके साथ साथ आगे बढ़ता गया। अस्वस्थता उनकी मुस्कान और व्यवहारिकता के सामने हमेशा छोटी रही, विपरीत परिस्थितियों में सहजता का गुण परिवार ने उनसे ही सीखा है । ज्ञान व सम्मान के पराक्रम से परिवार को आसमानी उंचाई देने के लिए भी हर पीढ़ी उनका नमन करेगी। हाल के कुछ दिनों में हमारे परिवार ने कई झंझावात देखें है, इन आंधियों के बीच वट वृक्ष का यूं ब्रम्हांड में विलीन होना,स्तब्ध और सबको व्याकुल कर गया। हम सभी के शक्तिपुंज , परिवार के विलक्षण व्यक्तित्व और ध्रुव तारे के सदृश समाज में अपनी खास पहचान से कुल को गौरवान्वित करने वाले
कर्मयोगी “राजेंद्र दादा” को शत् शत नमन।
#आशीष मिश्रा- महाप्रबंधक जनसंपर्क, रायपुर स्मार्ट सिटी**

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