ट्रांसजेंडर्स ने हिमालय की माउंट फ्रेंडशिप पीक को किया फतह
ट्रांसजेंडर्स ने किया छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित।
Positive India:Raipur;11 Oct 2020:
रायपुर: हर इंसान सक्षम हैं कुछ भी कर गुजरने के लिए। पर कभी-कभी ऐसा भी होता है कि समाज से उपेक्षित होने के कारण ट्रांसजेंडर समुदाय को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए बहुत कम अवसर मिलते हैं। सभी जीवों को भगवान ने बनाया है, सबको एक ही ‘रूह और जज्बा’ दिया है, शरीरिक सरंचना भले ही थोड़ी अलग हो गए हैं मगर सभी के जज़्बात एक ही है। इसी बात को दुनिया ना नकारे और किन्नर और एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी (LGBTQ Community)को वही सब मिले जो बाकी सभी लोगों को मिलता है।
“तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।”
हरिवंश राय बच्चन जी की उक्त पंक्तियों से प्रेरणा लेते हुए जोश प्रोजेक्ट तैयार किया गया है, जिसमें प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ की ट्रांसजेंडर मिस इंटरनेशनल ट्रांसक्वीन ‘वीणा सेंद्रे'(Veena Sendre) और ब्यूटीशियन ‘निकिता बजाज’ ने विशेष दमखम और उत्साह के साथ छत्तीसगढ़ के ट्रांसजेंडर(Transgender)समुदाय को गौरवान्वित किया एवं इसके साथ-साथ देश के कुल 25 ट्रांसजेंडर्स ने हिमालय की उच्चतम श्रृंखलाओं में से एक माउंट फ्रेंडशिप पीक (Friendship Peak)पर ट्रैकिंग किया, पर्वतमाला की चोटी पर पहुंचकर अपने देश का तिरंगा फहराया और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज कराया।
इस प्रोजेक्ट की अगुवाई देश के जाने-माने ट्रांसमैन बॉडीबिल्डर आर्यन पाशा और आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी ने किया। इस प्रोजेक्ट में छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं चंडीगढ़ के 25 ट्रांसजेंडरो को फ्रेंडशिप पीक पर चढ़ने के लिए मनाली स्थित प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षित किया गया।
फ्रेंडशिप पीक की चढ़ाई 6 अक्टूबर से शुरू की गई जिसे 11 अक्टूबर तक पूरा किया गया। जोश टीम के सभी सदस्य अपनी इस उपलब्धि से बहुत खुश हैं और सभी लोग स्वस्थ हैं। आने वाले वर्ष में जोश टीम द्वारा ‘माउंट एवरेस्ट’ के शिखर पर चढ़ने की योजना है। जोश प्रोजेक्ट से जुड़े सभी सदस्यों को मितवा संकल्प समिति की उपाध्यक्ष रानी सिटी ने सभी को बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
बता दे 17,348 फीट की ऊँचाई पर खड़ा फ्रेंडशिप पीक है और इस शिखर की ओर बढ़ना कुछ कम नहीं है। जब आप ट्रेक शुरू करते हैं तो आप घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों, और विशाल हिमखंडों से होकर ऊपर की ओर बढ़ते हैं, जो अपने आप में बहुत दुरूह चढ़ाई है।