काले पानी की सेल्यूलर जेल की प्रताड़ना और क्रांतिकारी महावीर सिंह
काले पानी के सेल्यूलर जेल की कहानी। गतांक से आगे
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
कल पंडित रामरक्खा जी के बारे मे आप लोगो ने जाना, आज पुनः एक क्रांतिकारी से परिचय कराऊंगा । आज मै सेल्यूलर जेल मे प्रताड़ना से शहीद हुए क्रांतिवीर महावीर सिंह के बारे मे बताऊंगा । शहीद महावीर सिंह सुपुत्र श्री कुंवर देवी सिंह, निवास स्थान शाहपुर एटा उत्तरप्रदेश से थे । देश की आजादी के लिए जो मार्ग चुना उससे यह क्रांतिवीर अच्छे से परिचित थे । इस मानसिक परिस्थिति मे अपने को समर्पित करना, उसके लिए तैयार होना, यह कोई मामूली बात नही है । आज से सौ साल पहले जब संचार माध्यम भी ठीक से उपलब्ध नही था, वहीं समाचारपत्र भी सेंसर हो कर ही मिलते रहे होंगे; ऐसे हालातो मे भी छोटे छोटे जगहो से क्रांतिकारियों का आना भारत के लिए काफी उत्साह जनक होंगे। पर ब्रिटिश हुक्मरान के लिए निरूतसाहित करने वाले रहे होंगे । यही कारण है कि इन विदेशी शासको ने विचारधारा की लड़ाई का बहुत फायदा उठाया और उन्हे एक होने नही दिया । और यही कारण है कि उस समय के शांति विचार के दलो ने और उनके नेताओ ने कभी भी इन लोगो को कोई भी सहयोग व कानूनी सहायता नही पहुंचाई । बात यहा तक भी थी, तो भी ठीक थी, पर जब प्रताड़ित होकर या फांसी के फंदे पर लटकाने पर भी इन नरम दल के नेताओ ने, विरोध तो दूर की बात है तत्कालीन शासको के खिलाफ एक शब्द भी नही बोला!!
चलो फिर मूल विषय पर आऊ, महावीर सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपबलिक पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता थे । 1929 मे लाहौर षड्यंत्र कांड मे गिरफ्तार किया गया । सन 1933 के प्रथम भूख हड़ताल मे भाग लिया । 17 मई सन 1933 को जबरन भोजन खिलाने के प्रक्रिया मे शहीद हो गए । शायद ये पहले शहीद थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आमरण अनशन पर अपनी शहादत दी । ऐसे क्रांतिकारी को शत शत नमन ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर