Positive India:Suresh Mistry:
हमारे सहिष्णू शांत विरोध के तरीके में और उनके आक्रमक पंद्रह मिनट स्टाइल के दंगा मेथड विरोध में बहुत ही बड़ा अंतर है.. परिणाम के रूप में
हम मुखर होकर अपने संगठित शांत विरोध से ही किसी भी बड़ी से बड़ी ब्रांड की गोदभराई 2700 करोड़ खर्च की करवा सकते है… नाक रगड़ वा सकते है….
बिना कंकर उछाले बिना एक शीशा तक चटकाए….
और वह महीनों की प्लानिंग और जुगाड के बाद त्वरित आहत आहत खेलते हुए दिल्ली बैगलोर शहर को दंगे से जला देते है… और अपने मजब के डर आतंक की शक्ति का परिचय करवाने के बाद भी हर बार खुद ही वैश्विक रूप से डरे हुए फिरते हे…?
बहुसंख्यक हिंदू की सहिष्णु शांत विरोध की यह प्रभाव पूर्ण शक्ति ही अमन पसंद😝 जिहादियों को आतंकित और डरा हुआ रखती हे…
वह जानते है जिस दिन यह बहुसंख्यक शांति मार्ग को छोड़ पंद्रह मिनट वाले मूड में आ गया उनकी और उनके समर्थकों की क्या दुर्गति होने वाली है….
बस इसी लिए वह पंद्रह मिनट की धमकी भर देते है फिर दुबक जाते है ..कभी सड़क पर उतरते नहीं…!
बहू संख्यक को अपनी संगठित प्रतिकार की इस रचनात्मक शक्ति को पहचानना होगा और संवर्धित, पुष्ट करते रहना होगा…
डर हो काफ़ी हे….जो हर बढ़ते दिन के साथ उनकी धड़कने बढ़ा रखता है…
या तो वह अगले बीस पच्चीस सालो में सुधर कर घर वापसी करेंगे नहीं तो दुनिया इतने विशाल रोहिंग्या शरणार्थी संभाल नहीं पाएगी….
बस चार बजे की चाय के प्याले के साथ यूंही लिख दिया…,☕
जो समझ रखते है समझ जाएंगे
साभार:✍️सुरेश-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)