उन जातियों के नौजवानों से जिनका कोई वोट बैंक नहीं है
-राजकमल गोस्वामी की कलम से-
Positive India: Rajkamal Goswami:
अब जातिगत जनगणना होने वाली है । चाहे पिछड़ा वर्ग हो या अनुसूचित जाति या जनजाति सभी जगह कुछ विशेष जातियों का ही बोलबाला है और अपने दबदबे को अपनी संख्या के अनुरूप और बढ़ाने के लिए ही यह जातीय जनगणना कराने की कोशिश है । मुसलमान जो सनातनी जातिवाद की सदा से निंदा करते आये हैं और इस्लाम में जातिवाद न होने का गौरव पूर्ण बखान करते हैं उनकी भी कई जातियों ने पिछड़े वर्ग का आरक्षण झटक रखा है ।
जातिगत जनगणना लोकतंत्र का सबसे विद्रूप रूप है । मैं उन जातियों के नौजवानों का आह्वान करता हूँ जिनकी संख्या किसी का वोट बैंक बनने लायक़ नहीं है कि वे जम कर पढ़ाई करें । पढ़ाई की सुविधा न हो तो तकनीकी संस्थानों से या कौशल विकास केंद्रों से कोई हुनर सीखें और पासपोर्ट बनवा कर देश छोड़ने की तैयारी कर लें । विदेश में एक प्लम्बर भी यहाँ के अफ़सर से कहीं अधिक कमाता है । लक्खूभाई पाठक केवल अपने साथ करछुल और पौनिया लेकर इंग्लैंड गये थे जहाँ उनका नमकीन अचार चटनी का करोड़ों का व्यवसाय स्थापित हो गया ।
कोई आरक्षण कोई पक्षपात कोई अन्याय आपसे आपका भाग्य नहीं छीन सकता । दुनिया बहुत बड़ी है और हुनरमंद की क़दर हर कोने में होती है ।
भारत में अब तुम्हारे लिए संभावनायें नहीं हैं, वैसे भी सरकारी सेवाओं का तेज़ी से निजीकरण हो रहा है , पेंशन ख़त्म होने के बाद सरकारी नौकरी का आकर्षण समाप्त हो चुका है । कभी गाँधी ने अंत्योदय की बात क़तार में खड़े उस अंतिम व्यक्ति के लिए की थी जिसका पुरसाहाल कोई नहीं होता है । लेकिन वोटबैंक की राजनीति ने सब कुछ बदल दिया । अगर आप यहूदी हैं तो यह देश आपको अल्पसंख्यक तक नहीं मानेगा क्योंकि अल्पसंख्यक होने के लिए भी एक एमएलए की सीट जिताने लायक जनसंख्या तो होनी ही चाहिए ।
अब इस देश के संसाधनों पर अधिक जनसंख्या वाली जातियों का अधिकार होगा । लेकिन दोस्त दुनिया बहुत बड़ी है ।
कैरियर बनाना है तो अपने अंदर हुनर पैदा करो और कूच की तैयारी करो ।
साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)