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जिनका दावा है कि उन्होंने आठ सौ साल हम पर हुकूमत की उनके लिए

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India: Rajkamal Goswami:
जब अंग्रेजों ने बंगाल विजय की उस समय बंगाल का नवाब मराठों को नियमित चौथ देता था । पानीपत की तीसरी लड़ाई के समय मुग़ल बादशाह मराठों के अधीन था और पानीपत की लड़ाई में अब्दाली के विरुध्द भारत का प्रतिनिधित्व मराठा कर रहे थे । आज का पूरा पाकिस्तान अंग्रेजों ने महाराजा रणजीत सिंह के वंशजों से छीना था । पानीपत के बाद महादजी शिंदे ने अटक से कटक तक मराठों का झंडा लहरा दिया था । मैसूर में हैदर और टीपू तमाम कोशिशों के बावजूद मैसूर राजवंश को नष्ट नहीं कर सके और वाडियार वंश का राज बना रहा जो १९४७ तक मैसूर के राजा बने रहे ।

कश्मीर भी १९४७ तक डोगरा राजाओं के अधीन था । बाबर के वंशज मिट गए पर मेवाड़ में आज तक राणा सांगा के वंशज गद्दीनशीन हैं । आसाम तो कभी मुग़लों के क़ब्ज़े में आ ही नहीं सका । पद्मनाभ स्वामी हिंदू राजाओं के कारण कभी भी लूटा नहीं जा सका ।

कुल मिला कर अंग्रेजों के आने के समय निज़ाम हैदराबाद, अवध और रुहेलखंड के अतिरिक्त बंगाल ही मुसलमानों के क़ब्ज़े में था और अंग्रेज न आते तो मराठा उन पर भी क़ब्ज़ा कर लेते ।

आठ सौ साल हमारा संघर्ष चला किंतु हम पहली बार सन सैंतालिस में तब हारे जब देश के एक हिस्से से हमने अपना दावा छोड़ दिया ।

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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