देश विरोध मे नंगे हो चुके सियासत दानों के गले मे राष्ट्रवाद का पट्टा पहनाने का समय आ गया
अब नैतिकता को अपने कंधे पर ढोकर नहीं चला जा सकता।
Positive India:Ajit Singh:
भाजपा जब तक विशुद्ध नैतिकता और राजनैतिक ईमानदारी की विचारधारा पर चलती रही….जब तक वो त्रेता युग की मर्यादा के मार्ग पर चलती रही……जब तक पार्टी के अंदर मर्यादा,नैतिकता,शुचिता आदि के लिए कड़े मापदंड तय किये गये थे….तब तक कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी…!!
याद करिये जहाँ अरबों खरबों के लूट खसोट,घोटाले-घपले करने के बाद भी कांग्रेस बेशर्मी से अपनी विचारधारा और अपने लोगों का बचाव करती रही….वहीं पार्टी फण्ड के लिए मात्र एक लाख रुपये ले लेने पर भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्षमण को हटाने मे तनिक भी विलंब नही किया…………परन्तु चुनावों मे नतीजा क्या मिला?
वही ठन ठन गोपाल!!
झूठे ताबूत घोटाला के आरोप पर ईमानदार तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडिस का इस्तीफा ले लिया गया……………परन्तु चुनावो मे नतीजा क्या मिला?
वही ठन ठन गोपाल!!
कर्नाटक मे येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही येदियुरप्पा को भाजपा ने निष्कासित करने मे कोई विलंब नही किया………….परन्तु चुनावों में नतीजा क्या मिला?
वही ठन ठन गोपाल..!!!
फिर भाजपा मे हुआ नरेन्द्र मोदी और अमित शाह का पदार्पण……..जो मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नक्शे कदम पर चलने वाली भाजपा को वो कर्मयोगी कृष्ण की राह पर ले आते हैं…..!!
श्रीकृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं….यानी छल हो तो छल से…..कपट हो तो कपट से……अनीति हो तो अनीति से?…………..मतलब शठे शाठ्यम समाचरेत…?
अधर्मी को नष्ट करना ही उनका ध्येय होता है,इसीलिए द्वारिकाधीश भी अर्जुन को सिर्फ कर्म करने की शिक्षा देते हैं।
कुल मिलाकर मेरा कहने का सार यह है कि,आज देश दुश्मनों से घिरा हुआ है,नाना प्रकार के षडयंत्र रचे जा रहे हैं,देश की अस्मिता और अखंडता पर रोज आघात किये जा रहे हैं…रोज सबूत मांग कर सरकार और सेना के प्रयास को छोटा ही नही किया जा रहा है बल्कि पड़ोसी देश का मनोबल बढ़ाया जा रहा है….रोज झूठे आरोप लगा कर जनता को भ्रमित किया जा रहा है….इसलिए अभी हम नैतिकता को अपने कंधे पर ढोकर नहीं चल सकते हैं…अभी वो समय नही है कि हम आदर्शवाद से राजनीति के पन्ने रंगे…….यह समय है एकजुट होकर देश विरोध मे नंगे हो चुके सियासत दानों के गले मे राष्ट्रवाद का पट्टा पहना कर उनके जहरीले फनो पर ऐंडिया रगड़ कर उन्हे निर्णायक रूप से कुचल देने का….!!!!
इसलिये नैतिकता,आदर्शवाद,ईमानदारी और शुचिता को रख दीजिये ताक पर…….आप यदि इस देश को,देश की संस्कृति,सभ्यता और अखंडता को बचाना चाहते हैं,तो आपको सत्ता अपने पास रखना ही होगा…वो चाहे किसी भी प्रकार से हो यानी साम,दाम,दंड,भेद किसी भी प्रकार से…….क्योंकि बिना सत्ता के आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं…पिछले 67 साल मे आपने देखा है कि बिना सत्ता की ताकत के आप कितने बेबस थे……कितने असहाय थे…!!
इसलिए राष्ट्रवाद के योद्धाओं के साथ बीजेपी के कार्यकर्ताओं को भी चाहिए…कि कर्ण का अंत करते समय कर्ण के विलापों पर ध्यान ना दें…कौरवों के कलपने पर भावुक न हो…….केवल ये याद रखें कि……..उनके अभिमन्यु की हत्या के समय कौरवों की नैतिकता कहाँ चली गई थी…..कर्ण के रथ का पहिया जब कीचड़ में धंस गया तब श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा,पार्थ देख क्या रहे हो, इसे समाप्त कर दो।
संकट मे घिरे कर्ण ने कहा,यह अधर्म है….तब योगीराज कृष्ण ने कहा कि अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले,भरे दरबार मे पांचाली को कुलटा कहने वाले के मुख से आज धर्म अधर्म की बाते शोभा नहीं देती…यह अस्तित्व का महायुद्ध है….यहां जो जीतेगा…वही जिंदा रहेगा…!
अब सोचिये कि कभी राजनीतिक के गलियारे मे निर्द्वंद विचरने वाले निरंकुश नेता और दंभी परिवार…..आज कर्ण की तरह ही फंसने पर जिस तरह से संविधान,कानून और नैतिकता की बात कर रहे है तो क्या ऐसा नही लग रहा है कि जैसे हम पुनः महाभारत काल मे आ गये है…..उसी प्रकार कुरूक्षेत्र मे खड़े हैं?
विश्वास रखिये जैसे महाभारत मे कान्हा के निर्देश पर अर्जुन नहीं चूका था वैसे ही आज का अर्जुन (मोदी)भी नहीं चूकेगा….बस भरोसा और धीरज बनाये रखें!!!
चुनाव के इस संग्राम में अमित शाह जो कुछ भी जीत के लिये..अपनी पार्टी के लिये कर रहे हैं…वह शत्रुपक्ष की कुटिलता,मक्कारी,दगाबाजी और कपट भरे व्यवहार को देखते हुये बिल्कुल उचित है……….आखिर अटल बिहारी वाजपेयी जी के लिये एक वोट का जुगाड़ न करके आत्मसमर्पण कर देना कौन सी राजनीतिक चतुराई थी….क्या मिला उस मर्यादा और आदर्शवादी आचरण से…???
श्रद्धेय अटल जी की साफ छवि,उनकी विकास परक नीतियों से चली सरकार के योगदान को अपने झूठ फरेब,कुचक्रो,छल छंदो और मक्कारी से देश की अधीर जनता को बहका कर कांग्रेस ने अगले दस साल पूरे देश को चोर लुटेरों के हवाले कर दिया…..जिन्होने निचोड़ लिया देश को…..याद है या शीघ्र विस्मृत होने वाला समाज फिर भूल गया….क्या फिर अक्षम्य अपराध देश करना चाहता है…नही……तो जानिये कि !!
साम, दाम, भेद, दण्ड राजा द्वारा अपनायी जाने:-वाली नीतियाँ है जिन्हे उपाय-चतुष्ठय (चार उपाय) कहते है……राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित है!
उपाय चतुष्ठय के अलावा तीन अन्य है…माया,उपेक्षा तथा इन्द्रजाल…!!
फिलहाल राजनीतिक गलियारे मे ऐसा विपक्ष नही है जिसके साथ नैतिक – नैतिक खेल खेला जाए..या फिर उनके साथ मर्यादित आचरण किया जाय क्योंकि ऐसा करना आत्मघाती होगा………….!!!
इसलिये राष्ट्र और धर्म के रक्षण के लिये हो रहे इस संग्राम मे मोदी नामक सेनापति के नेतृत्व मे आप स्वयं को एक सैनिक समझ रहे हैं तो नि:संकोच सब कुछ भुला कर बस शत्रु संहार मे जुट जायें……राष्ट्र और धर्म अखंडित रहेगा…तभी हम और आप रहेंगे…क्योंकि हमारे पास विकल्प के रूप मे हिंदुस्थान छोड़ कर अब कोई भूमि नही बची है…….!!
#वन्देमातरम्
#अजित
लेखक:अजीत सिंह-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)