Positive India:Satish Chandra Mishra:
ये देश केवल नरेन्द्र मोदी का नहीं है।
इतने कृतघ्न, इतने स्वार्थी मत बनिये।
आजकल बड़ा शोर है इस बात का कि पेट्रोल बहुत महंगा हो गया है। कच्चे तेल के अंतर्राष्ट्रीय मूल्य जिस स्तर पर हैं उस को देखते हुए देश में डीजल पेट्रोल का मूल्य सरकार बहुत ज्यादा ले रही है।
विरोधी विपक्षी और प्रेस्टीट्यूट द्वारा उपरोक्त शोर किया जाना तो समझ में आता है लेकिन खुद को मोदी भाजपा संघ समर्थक कहने वाले ढपोरशंखी राष्ट्रवादी हिंदुत्ववादी जब वही शोर करते हैं तो क्रोध आता है। ये ढपोरशंखी अपनी बात में वजन डालने के लिए आजकल यह ज्ञान बांट कर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ माहौल बना रहे हैं कि… पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के कारण मोदी के लिए जमीनी हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। मोदी के लिए हालात ठीक नहीं हैं।
उन सभी ढपोरशंखियो से मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि निश्चिन्त रहिये। अगर प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में माहौल बिगड़ा। यदि ऐसा हुआ तो मन में एक पीड़ा की गठरी लादकर, अपना झोला उठाकर चल देगा नरेन्द्र मोदी नाम का वह फ़क़ीर… इससे ज्यादा उस फकीर का कुछ नहीं बिगड़ेगा जिस फकीर की मां आज भी 2 कमरे के सरकारी क्वार्टर में रहती है। जिसके भाई बहन भतीजे भतीजियां भंजियां समेत सभी रिश्तेदार पेट्रोल पम्प पर नौकरी कर के, किराने और टायर की दुकान चलाकर अपनी ज़िंदगी गुजार रहे हैं। लेकिन पेट्रोल के मूल्य को लेकर आज उस फकीर पर ताना कस रहे। उसके खिलाफ कार्टून बना रहे प्रचण्ड मूर्ख ढपोरशंखियो तुम अपना और आनेवाली पीढियों की सोचो। हमारी आज की पीढ़ी के बारे में आने वाली पीढियां वही सवाल पूछेंगी जो सवाल आज लगभग हज़ार साल बाद हमारी पीढियां जयचंद के समय की पीढ़ी को लेकर पूछती हैं।
उस समय उनके सवाल के जवाब में कोई समझदार उनसे यही कह रहा होगा कि… “कुत्तों को घी हजम नही हुआ था।”
क्योंकि तथ्यों साक्ष्यों के साथ तार्किक बात ही करता और सुनता हूं। इसलिए आज एक बार फिर डंके की चोट पर कह रहा हूं कि 100 रूपये लीटर कीमत वाला पेट्रोल महंगा नही बल्कि बहुत सस्ता है। विस्तृत पोस्ट की प्रतीक्षा करिये।
पेट्रोल पर रविवार को लिखने का वायदा तीन दिन पहले किया था किंतु व्यस्तता के काऱण नहीं लिख सका। अब लिख रहा हूं। सम्भवतः आज रात या फिर कल उसे पोस्ट करूंगा। तथ्यों को पढ़ कर, जान कर चौंक जाइयेगा। इसीलिए शुरू में ही लिखा है कि…
ये देश केवल नरेन्द्र मोदी का नहीं है।
इतने कृतघ्न, इतने स्वार्थी मत बनिये।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)