ये है बेशर्म बिकाऊ पत्रकारिता का निकृष्टतम चेहरा और चरित्र
मुख्यमंत्री केजरीवाल अपने राज्य में शत प्रतिशत असफल नकारा निकम्मा सिद्ध हुआ है।
Positive India:Satish Chandra Mishra:
हम सब ने, पूरे देश ने देखा है। कोरोना संक्रमण से संबंधित देश के आंकड़ें भी इस तथ्य के गवाह हैं कि पिछले एक वर्ष के दौरान कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण में दिल्ली का मुख्यमंत्री केजरीवाल अपने राज्य में शत प्रतिशत असफल नकारा निकम्मा सिद्ध हुआ है।
मात्र 3 करोड़ जनसंख्या वाली दिल्ली में आज सवेरे तक 11157 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। महाराष्ट्र के बाद दिल्ली ही वह राज्य है जहां जनसंख्या के अनुपात में कोरोना संक्रमण के कारण सर्वाधिक संख्या में लोगों की मृत्यु हुई हैं। जबकि जनसंख्या अनुपात में देश मे सबसे अधिक लोग दिल्ली में ही कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं। इस मामले में दिल्ली ने महाराष्ट्र को भी पीछे छोड़ दिया है और पहले नंबर पर है। आज सवेरे तक के आंकड़ों के अनुसार 12.62 करोड़ जनसंख्या वाले महाराष्ट्र में कुल 26.5 लाख लोग कोरोना संक्रमण के शिकार हुए। जबकि 3.11 करोड़ जनसंख्या वाली दिल्ली में आज सवेरे तक 6.64 लाख लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके थे। पिछले एक वर्ष के दौरान केवल दिल्ली अकेला ऐसा राज्य रहा जिसका मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दो अवसरों पर अपने दोनों हाथ खड़े कर के सार्वजनिक रूप से जनता को यह सन्देश देता दिखाई दिया था कि कोरोना से लड़ना अब हमारे बस की बात नहीं रह गयी है। अतः दिल्ली में कोरोना पर नियंत्रण की कमान दोनों बार देश के गृहमंत्री को स्वयं संभालनी पड़ी थी।
लेकिन केजरीवाल सरकार के विज्ञापनों के घुंघरू पहन कर नाचने वाला मीडिया केजरीवाल की करतूतों और उसके निकम्मेपन पर पर्दा डालने में किस तरह जुटा हुआ है, इसका उदाहरण कल तब देखने को मिला जब मुख्यमंत्रियों के साथ हुई अपनी बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कुछ सुझाव दिए। उनमें एक सुझाव यह भी था कि राज्यों को माइक्रो कंटेनमेंट जोन पर फोकस करना होगा तथा कंटेनमेंट जोन में हर व्यक्ति की जांच हो।
लेकिन उपरोक्त खबर को “अमर उजाला” अखवार ने इस हेडलाइन के साथ प्रस्तुत किया….. “कोरोना से जंग: पीएम मोदी को पसंद आया केजरीवाल का दिल्ली मॉडल, पूरे देश को दी अपनाने की सलाह”
अब यह भी जानिए कि राष्ट्रीय महत्व की खबर को केवल केजरीवाल की वाहवाही का हथियार बना देने के लिए अखबार ने कितना बड़ा और सफेद झूठ बोला।
उपरोक्त सन्दर्भ में पहली बात तो यह जानिए कि कोरोना संक्रमितों के इलाके को कंटेंनमेंट जोन बनाने का सुझाव देते समय प्रधानमंत्री मोदीं ने केजरीवाल या किसी भी मुख्यमंत्री के किसी मॉडल का ना नाम लिया ना कोई जिक्र किया। दूसरी इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह कि कोरोना संकमण पर नियंत्रण के लिए कंटेंनमेंट जोन बनाने की शुरूआत देश में सबसे पहले दिल्ली में नहीं भोपाल में 22 मार्च 2020 को हुई थी। 27 मार्च तक भोपाल के 20 घरों और मोहल्लों को सील कर कंटेंनमेंट जोन घोषित किया जा चुका था। 29 मार्च को मुंबई के वर्ली कोलीवाड़ा इलाके को सील कर कंटेंनमेंट जोन घोषित कर दिया गया था। इसके दो दिन बाद 31 मार्च को दिल्ली में मनसारा अपार्टमेंट वसुंधरा एन्क्लेव इलाके को सील कर के दिल्ली का पहला कंटेंनमेंट जोन बनाया गया था। अतः यह कंटेंनमेंट जोन बनाने की रणनीति को अमर उजाला सरीखे अखबार ने केजरीवाल का मॉडल कैसे और किस आधार पर घोषित कर दिया और उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जोड़कर हेडलाइन किस आधार पर बना दिया.?
उपरोक्त सवाल का उत्तर ही यह बता रहा है कि केजरीवाल ने अपने विज्ञापनों की बेतहाशा रकम उड़ा कर मीडिया के एक बड़े वर्ग को खरीद कर अपना गुलाम बना लिया है। उसे अपनी प्रशंसा में झूठी खबरें फैलाने वाली बेशर्म बिकाऊ पत्रकारिता का निकृष्टतम उदाहरण बना दिया है।
इसे कॉपी पेस्ट शेयर कर के सोशल मीडिया के हर मंच पर इतना अधिक शेयर कीजिए ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोग बेशर्म बिकाऊ पत्रकारिता के निकृष्टतम चेहरे एवं चरित्र से परिचित हों। उसे पहचाने तथा उससे सजग सतर्क सचेत और सावधान हो सकें।
सम्बंधित तथ्यों की पुष्टि कमेंट्स में जाकर कर सकते हैं।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार)