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वे बच्चियों के शरीर नोंचते हैं, जब चाहे तब भोग के लिए बुलाते हैं।

-कुमार एस की कलम से-

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Positive India:Kumar S:
वे बच्चियों के पीछे लग जाते हैं।
वे उन्हें प्रलोभन में फँसाते हैं।
फ़ोटो और वीडियो बनाकर उसी फंदे से आगे का खेल रचते हैं।
वे न केवल उनका शरीर नोंचते हैं, जब चाहे तब भोग के लिए बुलाते हैं।
जहां चाहे वहां शुरू हो जाते हैं।

वे उन बच्चियों को वस्तु की तरह परस्पर बांटते हैं।
गिफ्ट की तरह पास करते हैं।
वे बच्चियों से पैसे मंगवाते हैं।
चोरी करने को प्रोत्साहित करते हैं।
उनके जैसी और बच्चियों तथा सहेलियों को फँसाते हैं।
इस हद तक माइंड कंट्रोल कर लेते हैं कि उन्हें कोई राह नहीं सूझती।

वे सदा से ऐसा करते आये हैं।
उन्हें इस सब्जेक्ट में मास्टरी है।
पशुता और पैशाचिकता के रोल मॉडल हैं वे।
वे आयु या परिपक्वता नहीं देखते।
उन्हें केवल xxx चाहिए।
वे आपके इर्दगिर्द चारों तरफ फैले हैं।
वे #अपने_घरसे_इसकी_शुरुआत करते हैं और उस अनुभव का उपयोग आप तक पहुंचने में करते हैं।

वे न केवल बच्चियों को, बल्कि अब बच्चों को भी फंसा रहे हैं।
उनका एक संगठित परिपूर्ण, विकसित, व्यवस्थित गिरोह बन चुका है।
मीडिया, युट्यूबर, ध्रुव राठी, रवीश कुमार और tv चैनल के लिए वे #समुदाय_विशेष है।
इस पर वेबसिरिज नहीं बनेगी।
इसे कुरीति नहीं कहा जाता।
इस पर मुंह खोलने की मनाही है।
इस पर न्यायालय सुओमोटो नहीं लेता।
इस विषय पर दलित चिंतकों के मुंह नहीं खुलते।
इस पर फेमिनिज्म पितृसत्तात्मक का रोना नहीं रोती।
इनके घरों में वामपंथी एक्टिविस्ट घर की भाभी बनकर सलाह देने नहीं रुकती।
यहाँ कोई रावण यात्रा नहीं निकालता।
उनका कोई नाम नहीं लेता।

वे अपने हुजूर के पीछे छिप जाते हैं। इस कृत्य को पवित्र और अनिवार्य मानते हैं।
ये हैं, सच्चाई है, वास्तविकता है, बच सकते हैं तो बचो।
नहीं पता तो पूछो।
पता करो कि इस त्रासदी का समाधान क्या है?

साभार:कुमार एस-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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