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देश की मिट्टी के लिए शहीद रणबांकुरो से हम अपरिचित क्यों

इतिहास की सच्चाई जानना नई पीढ़ी के लिए आवश्यक।

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
इतिहास की सच्चाई अब इस पीढ़ी को जानना जरूरी है,इसलिए स्वतंत्रता संग्राम के सभी नेताओ के काम के पुनर्मूल्यांकन की सख्त आवश्यकता है । दुर्भाग्य से वामपंथी विचारधारा के लोगो द्वारा लिखित इतिहास से ही देश को परिचित कराया गया है । यही कारण है कि इस मिट्टी के लिए शहीद हुए लोगो से देश अपरिचित है ।

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आजादी के बाद भी हम अपने ही देश मे क्रूर मुगल बादशाहो के यादों को संजोकर रखे हुए है । इससे शर्मनाक स्थिति क्या हो सकती है । आज भारत की राजधानी दिल्ली या बड़े शहरो मे इनके नाम के रोड है और इनकी यादो को अक्षुण्ण रखने का काम इन सत्तर सालो तक होता रहा है । इन दलों को पहली बार किसी राष्ट्रवादी दल के सत्ता के साये मे रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । इसलिए ये अपनी स्थिति का अहसास कराने के लिए छात्रो के कंधे पर बंदूक रखकर विश्वविद्यालय के परिसर का राजनैतिक दुरूपयोग कर रहे है, जिससे सरकार के हाथ बंधे रह सके ।

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पुनश्च विषय पर, अब जब राष्ट्रवादी सरकार बन गई है, तो निश्चित है इतिहास का नये सिरे से पुनर्मूल्यांकन होना लाजिमी है; जिसे ये बर्दाश्त नही कर पा रहे है । जो लोगो अभी तक अकबर महान और कौमी एकता का पाठ पढ़ा रहे थे अब ऐसे लोगो को महाराणा प्रताप कहा से बर्दाश्त होंगे ? यही वो महाराणा प्रताप है जिसे वियतनाम वाले अपना आदर्श मानते है, जिसने अमेरिका जैसे महाशक्ति से बीस साल युद्ध लड़कर युद्ध जीता; सिर्फ महाराणा प्रताप के आदर्श के कारण! और हमारे यहा ?

दूसरा उदाहरण क्षत्रपति शिवाजी का है जिन्होंने तत्कालीन क्रूर बादशाह औरंगजेब के छक्के छुड़ा दिये थे । वो शिवाजी जिसकी फोटो रशिया के राष्ट्रपति पुतिन के आफिस मे शोभायमान हो रही है। वहीं हमारे यहाँ तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के चलते औरंगजेब के कसीदे पढे जा रहे है । कितनी विडंबणा है, इस महायोद्धा के आदर्श पर चलने वाली पार्टी सत्ता के लिए अब धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ ली है । अभी एक पार्टी द्वारा सुनियोजित तरीके से वीर सावरकर को बदनाम करने की साजिश की जा रही है, जिससे यह सरकार वीर सावरकर को भारत रत्न न दे सके । पहले तो इस पार्टी को ही देश से क्षमा मांगनी चाहिए जिसने सावरकर जी के नाम से डाक टिकट जारी किया । क्या कारण है कि ऐसे लोगो की डाक टिकट इन्होंने जारी की? या तो ये पहले झूठ बोल रहे है या अब। कुल मिलाकर, ये देश के साथ गंदी राजनीति कर रहे है ।

उल्लेखनीय है कि ये वही दल है जिसने अंग्रेजो के द्वारा आजादी के समय क्रांतिकारियों को जब भी फांसी पर लटकाया गया, तो इन अहिंसा के पुजारियों ने कभी इसका विरोध नही किया । यही कारण है कि दो दो बार जिस महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को काला पानी की सजा मिली, उसका इतना घटिया ढंग से विरोध कर रहे है । पहले इन्हे अपने आदर्श नेताओ के चरित्र पर गौर करना चाहिए । अच्छा होता जिनके मकान शीशे के हो, उन्हे दूसरे के घरो मे पत्थर नही फेकना चाहिए ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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