वामपंथ का पहला ऐसा नैरेटिव जो चारों खाने चित पड़ा है -700 किसान मर गए-
-विशाल झा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
दिल्ली विधानसभा में केजरीवाल ने भी कहा। संसद परिसर में आज राहुल गांधी ने कहा। मीडिया संबोधन में अखिलेश यादव ने कहा। अन्न देकर देश का पेट पालने वाले राकेश टिकैत तो चैनल दर चैनल कहते ही रहते हैं। लेकिन आपको देखकर बड़ा आश्चर्य लगेगा कि इतने हाई प्रोफाइल माउथपीस यूज करने के बावजूद यह मुद्दा डिजाइनर मीडिया का भी हिस्सा नहीं बन पा रहा।
कोई डिजाइनर पत्रकार ही 700 किसान कैसे मर गए, कम से कम इतना भी तो पूछ लेता। जैसे लगता है किसी ने सुना ही नहीं कि 700 किसान मर गए। इतने दुर्दिन आ गए नैरेटिव सेट करने वालों के।
तो असल मसला यह है कि झूठ बोलने की भी एक सीमा होती है। किसी ने कहा था ना कि एक झूठ को सौ बार बोलो तो वह भी सत्य लगने लगता है। लेकिन ध्यान रखना चाहिए ऐसे पाखंडियों को कि एक झूठ स्थापित कर लोगे, दो स्थापित कर लोगे, लेकिन लगातार झूठ ही स्थापित करते रहोगे तो यही हश्र होगा।
राफेल नैरेटिव टूटा। जीएसटी नैरेटिव टूटा। नोटबंदी नैरेटिव टूटा। अब यह 700 मर गए वाली नैरेटिव पहले सेट तो कर लो सही से।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)