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दी कन्वर्जन कल रिलीज हो रही है।

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
‘दी कन्वर्जन'(The Conversion) महज एक फिल्म नहीं, फिल्म जगत में एक ऐतिहासिक घटना साबित होगी, यदि हम फिर एक बार ठगे ना गए तो। ठगे ना गए इसलिए कह रहा हूं क्योंकि पिछले साल ही विधु विनोद की एक फिल्म आई थी- शिकारा : दि अनटोल्ड स्टोरी आफ कश्मीरी पांडित्स, हमारी भावनाओं के साथ खेल गया था। विनोद कश्मीरी हिंदुओं के दुख दर्द के नाम पर हमें एक रोमांटिक फिल्म परोस गया। यद्यपि फिल्म रिलीज होने से पहले जैसे ही हमने रवीश कुमार के पैनल में विधु विनोद का गर्मजोशी से स्वागत देखा, सारा माजरा तुरंत समझ गया कि कश्मीरी हिंदुओं के दर्द को जनरलाइज करने की पूरी कोशिश की उसने। यह भी उसने कहा कि कश्मीरी पंडित अब चाहते हैं कि उनके दर्द को अब भुला दिया जाए। जबकि जमीनी सच्चाई यह है कि भारत में कश्मीर का पूर्ण विलय हो जाने के पश्चात भी कश्मीरी मुसलमानों ने पिछले 6 दिनों में 3 हिंदुओं की हत्या कर दी है।

विनोद तिवारी हैं दी कन्वर्जन के निर्देशक। एक बार फिर इन पर लेकिन भरोसा करने को हम तैयार हैं। विनोद तिवारी को 2017 में तबादला नाम से पवन सिंह की भोजपुरी फिल्म से पहचान मिली। भोजपुरी फिल्मों की तमाम आलोचनाओं के पश्चात इतना तो कहा ही जा सकता है कि भोजपुरी की पटकथा में बौद्धिक जिहाद अथवा बौद्धिक आतंकवाद की कारीगरी नहीं होती। 2018 में संजय दत्त की भतीजी स्टारर ‘तेरी भाभी है पगले’ के कॉमेडी फिल्म होने के बावजूद इसमें उन्होंने पायरेसी जैसे मुद्दे रखे थे। ‘जिला गोरखपुर’ नाम के फिल्म का पोस्टर 2018 के जुलाई में जब उन्होंने रिलीज किया तो अभिव्यक्ति का ठेका संभाले हुआ खेमा गर्म हो उठा। पोस्टर में भगवा कपड़ा और सूरज की रोशनी की दिशा में मुंह किए एक व्यक्ति खड़ा दिखाई देता है। विनोद तिवारी ने बाद में चलकर सफाई दी कि यह योगी आदित्यनाथ की बायोपिक नहीं है। भगवा आतंकवाद और मोब लिंचिंग के मुद्दे इसके कंटेंट हैं।

दी कन्वर्जन के ट्रेलर भर से ही जिहाद यांत्रिकी गर्म हो उठा। इसे यूट्यूब से हटाने के लिए वकील आदिल सरफुद्दीन और उबेद यूआई हसन नाम का दो वकील बतौर एक लॉयर काउंसलिंग, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इन्कार कर दिया।

बनारस के बैकग्राउंड में लव जिहाद जैसे अनछुए मुद्दे को लेकर पहली बार किसी फिल्म निर्देशक ने समाज हित को फिल्माने की कोशिश की है। उत्तर प्रदेश को ‘उत्तम प्रदेश’ और हिंदी ‘मां’ बताने वाले विनोद तिवारी विधु विनोद नहीं निकलेंगे। इसका पूरा विश्वास है हमें।

कमर्शियल पक्ष को बलिदान देकर बनाया गया समाज हित के मुद्दे के इस फिल्म को हमारी पूरी शुभकामना।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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