मुगलों की बहादुरी का वो काला सच जिसकी खेती वामपंथी इतिहासकार करते आ रहे हैं
-सतीश चन्द्र मिश्रा की कलम से-
Positive India:Satish Chandra Mishra:
बहादुरी का सच… तब से अब तक…
सबसे पहले उदाहरण मुगल शासन के उन तीन सबसे नामी गिरामी शासकों की तथाकथित बहादुरी के, जिनकी तथाकथित “बहादुरी की अफीम” की खेती कांग्रेसी जमीन पर वामपंथी इतिहासकारों ने जमकर की। पाकिस्तान उस अफीम को आजतक चाट भी रहा है, बेच भी रहा है। भारत में भी कट्टर धर्मांध मूर्खों की जमात आज भी उसी अफीम को चाट रही है। दस हिन्दूओं पर हमारा एक भारी के सपनों में डूबी हुई है।
लेकिन इतिहास कुछ और ही संदेश देता है।
भारत नहीं बल्कि राजस्थान की भूमि का मात्र 6 प्रतिशत भाग है मेवाड़। इसी मेवाड़ के राजा राणा सांगा ने युद्ध के मैदान में अकबर के बाप के बाप बाबर के भूंसा भर दिया था। बाबर से पहले इब्राहीम लोदी भी युद्ध के मैदान में राणा सांगा से 2 बार भूंसा भरवा चुका था। एक गद्दार द्वारा दिए गए ज़हर के कारण राणा सांगा की मृत्यु हुई थी। इन्हीं महावीर महायोद्धा राणा सांगा के वंशज महाराणा प्रताप से युद्ध के मैदान में जब बाबर का पोता अकबर टकराया तो महाराणाप्रताप ने भी अपनी बहुत छोटी सेना के सहारे ही अकबर के भूंसा भर दिया था। आमेर का गद्दार मानसिंह यदि राजपाट के लालच में अकबर का गुलाम नहीं बना होता तो मात्र 6 प्रतिशत राजस्थान की भूमि के राजा महाराणा प्रताप ने उस तथाकथित अकबर महान और उसकी मुगल सल्तनत को हल्दी घाटी के मैदान में हमेशा के लिए दफन कर दिया होता।
इसीप्रकार पश्चिमी भारत के मराठा राज्य के महावीर महायोद्धा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज ने लगातार 16 वर्षों तक तथा उनके बाद उनके पुत्र सम्भाजी ने लगातार 9 वर्षों तक युद्ध के मैदान में औरंगज़ेब के भूंसा भर दिया था। अपनी पत्नी के लंपट भाई गणोजी शिर्के द्वारा मनसबदार बनने के लोभ में की गई गद्दारी, मुखबिरी के कारण सम्भाजी की मृत्यु हुई थी।
इतिहास ही हमें यह भी बताता है कि राजा रणजीत सिंह और उनके सेनापति हरिसिंह नलवा ने कश्मीर से काबुल तक पठानों को मार मारकर अधमरा कर दिया था, उनके भूंसा भर दिया था।
ध्यान रहे कि भारत में मुगलों के शासन का कारण उनकी बहादुरी नहीं थी। इसका कारण यह था कि उस दौर के हिन्दूस्तान की सैन्य शक्ति उन छोटे बड़े 565 राज्यों में बुरी तरह बंटी और बिखरी हुई थी, जो राज्य एकदूसरे से ईर्ष्या और वैमनस्य के भयानक विष से संक्रमित थे। एकदूसरे को नुकसान पहुंचाने के लिए कोई भी घिनौना हथकंडा अपनाने से हिचकते नहीं थे।
आज स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की सैन्यशक्ति एक है। यही कारण है कि पिछले 72 वर्षों में भारत युद्ध के मैदान में 4 बार पाकिस्तान को मार मारकर सूंअर बना चुका है। उसके भूंसा भर चुका है। उड़ी और पुलवामा आतंकी हमले के बाद यह भी दिखा जता चुका है कि जब चाहेंगे तब, हम घर में घुसकर तुमको जुतियाएंगे, तुम्हारे भूसा भरेंगे।
आज उपरोक्त संक्षिप्त विवरण इसलिए क्योंकि परमवीर अमर बलिदानी भारतीय सैनिकों के अपरिमित बलिदान, साहस, शौर्य, पराक्रम की पूजनीय स्मृतियों की स्वर्ण जयंती पर उपरोक्त उल्लेख आवश्यक भी है और प्रासंगिक भी है।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)