नंदीग्राम का संग्राम!
नंदीग्राम ममता बनर्जी को जीवनदान देगा या फिर उसके लिये वाटरलू साबित होगा?
Positive India:Ajit Singh:
वही नंदीग्राम,
जिसकी कोख से जन्मे आंदोलन से TMC पैदा हुई थी………उस आंदोलन की रूपरेखा और रणनीति उसी शुभेन्दु अधिकारी ने बनाई थी,जिसके विरूद्ध आज ममता चुनाव लड़ने जा रहीं हैं……….नंदीग्राम का वो बड़ा आंदोलन जिसने साढ़े तीन दशक की वामपंथियों की बम,बारूद और मदरसे और मिशनरियों की तुष्टीकरण करने वाली अराजक सरकार को उखाड़ कर फेंक दिया था…आज वही नंदीग्राम एक बार फिर कुरूक्षेत्र मे बदल कर करवट ले रहा है….दुर्भाग्य से परिस्थितियां न केवल वही वामपंथ के समय के बम,बारूद और तुष्टीकरण वाली ही है,जिसके खात्मे के लिये बंगबंधुओं ने २०११ मे TMC को सत्ता की चाबी सौंपी थी….वरन् वामपंथियों से एक कदम आगे बढ़ कर आज ममता बनर्जी रोहिंग्याओ और बांग्लादेशी घुसपैठियों की खुलकर संरक्षण और समर्थन देने के साथ देश की संवैधानिक व्यवस्था को चुनौती देते हुये देश की सम्प्रभुता और अखंण्डता के लिये चुनौती बन चुकी है……..अगर अब इसे रोका न गया तो विश्वास करिये कि बंगाल भी बिल्कुल कश्मीर की स्थिति मे जाता हुआ दिख रहा है…….चुनाव की घोषणा होने के बाद अब सब कुछ बंगाल की जनता के हाथ मे है कि वो पुरातन गौरवशाली बंगाली अस्मिता को वापस पाना चाहती हैं…या फिर ढ़ाल तलवार रख कर हरे टिड्डों और उनकी समर्थक सरकार के सामने सर झुका कर मुगल सल्तनत को ही अपना भविष्य मान चुकी हैं….जबकि बीजेपी जैसी राष्ट्रवादी पार्टी और मोदी जैसा महानायक खुल कर बंगाल के गौरव की रक्षा हेतु उनके साथ ताल ठोंक कर खडे हैं….अब बस बंगाल के बहुसंख्यक हिंदू समाज को अपनी तर्जनी का कमाल दिखाना बाकी है…!
फिलहाल बात नंदीग्राम की कर ली जाये जहां अपने खेमे मे आसन्न पराजय के भय से मची भगदड़ के कारण समर्थकों का मनोबल बनाये रखने और भवानीपुर के भावी परिणामो को समझ कर ही ममता बनर्जी बौखलाहट मे ३०% मुस्लिम वोटों के बल पर नंदीग्राम की धरती के लाल शुभेन्दु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लडने जा़ रही है………..नंदीग्राम मे होने जा रहा चुनावी संघर्ष……..बंगाल के साथ TMC का भविष्य भी तय करेगा कि नंदीग्राम से जन्मी पार्टी उसी नंदीग्राम मे दफन हो जायेगी और २ मई के बाद स्वामी विवेकानंदजी, टैगोरजी,सुभाषबाबू,खुदीराम बोस और जतिनदास जैसे अनगिनत महानायकों का प.बंगाल अंगड़ाई लेकर राष्ट्रवाद से ओतप्रोत वाले वातावरण मे सांस लेकर देश के साथ कदमताल करता नजर आयेगा….या फिर इन महानायकों के प.बंगाल का भाग्य अब मौलाना बरकती,रोहिग्या,बांग्लादेशी घुसपैठिये जैसे बहुसंख्यंक होते जा रहे पाषणयुगीन सोच वाले हरे टिड्डे लिखेंगे……..अब ये तो बंगाल की जनता को तय करना कि उसे क्या चाहिये….रही बात नंदीग्राम के लाड़ले,जिसकी गर्भनाल नंदीग्राम से जुड़ी है…..उस शुभेन्दु अधिकारी और उसके आत्मविश्वास की तो उन्होने खुले मंच से चुनौती दे ही दी है कि अगर ममता बनर्जी को पचास हजार से कम वोटों से हराऊंगा तो राजनीति से इस्तीफा दे दूंगा….इसे बड़बोला पन नही वरन् नंदीग्राम की जनता के मन मे अपने प्रति बने विश्वास को जताता है…जिसमे हार का तो प्रश्न ही नही दिख रहा है…बात जीत के अंतर की है…..बहरहाल लगता है कि जहां लड़ाकू प्रवृति वाली ममता बनर्जी ने अतिआत्मविश्वास मे नंदीग्राम से लड़ने का फैसला करके बहुत बड़ी राजनैतिक भूल कर दी है…वहीं मोटा भाई जैसे चाणक्य की रणनीति मे TMC की अकेली स्टार प्रचारक को बीजेपी ने नंदीग्राम मे ही घेर कर रखने मे कामयाब हो गई है….अब तो २ मई को पता चलेगा कि नंदीग्राम ममता बनर्जी को जीवनदान देगा या फिर उसके लिये वाटरलू साबित होगा….अपन को लगता है कि मोमता के लिये वाटरलू ही साबित होगा….देखते हैं…!!!
#वंदेमातरम्
#Ajit_Singh
साभार:अजीत सिंह-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)