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जहां शिव सरस्वती ऋषि कश्यप हुए वह कश्मीर हमारा है

- विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
झूठ आकर्षक होता है, लेकिन सत्य असरकारक। झूठ का आकर्षण एक सीमा के बाद स्खलित हो जाता है, सत्य स्थापित हो जाता है।

“जहां शिव सरस्वती ऋषि कश्यप हुए वह कश्मीर हमारा है” कहकर पूरे हिंदी पट्टी को अनुपम खेर(Anupam Kher) ने कश्मीर की पूरी फाइल्स देश दुनिया में सार्वजनिक कर दी। कितनी सरलता से उन्होंने साधारण से लेकर पढ़े-लिखे तक को कश्मीर के बारे में समझा दिया।

दक्षिण में जाकर यही अनुपम खेर अब कह रहे हैं, “..उन्होंने जो धर्म बताया था वह धर्म नहीं हमारा जीवन है”, फिर कृष्ण के किरदार को कई रूपों में बताने लग जाते हैं। ये टीजर है कार्तिकेय टू का। कमाल की बात है कि दी कश्मीर फाइल्स(Kashmir Files) ने जिस तरह से एक प्रकार की क्रांति को पूरे हिंदी प्रदेश के चेतन में भर दिया, ठीक उसी प्रकार कार्तिकेय टू के माध्यम से पूरे दक्षिण को झकझोर रहे हैं।

कश्मीर फाइल्स 14 करोड़ बजट की फिल्म 250 करोड़ से ऊपर की कमाई की। ठीक समानता देखिए कि 15 करोड़ बजट की फिल्म कार्तिकेय टू मात्र 13 दिन में 61 करोड़ का ऑल इंडिया बिजनेस कर चुका है। एक बड़ा आश्चर्य तो यह है कि इस फिल्म ने पहले दिन मात्र आठ लाख रुपये की कमाई की थी, जिसकी शुरुआत केवल 40 स्क्रीन से हुई थी। आज 1000 लोकेशन पर यह फिल्म चल रही है। जबकि आठ लाख से शुरुआत करने वाली है फिल्म 1 दिन में सवा करोड़ से ऊपर केवल इंडिया में बिजनेस कर रही।

तो यह बिजनेस नहीं है, कुछ और है। लोगों ने झूठ के आकर्षण को बहुत झेला। आकर्षण की एक सीमा रेखा होती है। सीमा रेखा पार करने के बाद ग्रेविटी खत्म हो जाती है। सत्य का तब आरंभ होता है। इतना असरकारक होता है कि एक छोटी सी पंक्ति कोई बड़ा मैसेज दे जाता है।

बड़े बजट की फरेबी पुलिंदों ने एक नहीं दो दो टीचर निकाला। एक फेल कर जाने पर दूसरा, लेकिन फिर बात वही फरेब अब नहीं चलने वाला।

आज थिएटर से जब लोग यह सुनकर कि, “उन्होंने जो धर्म बताया था वह धर्म नहीं हमारा जीवन है”, तेलंगाना की सड़कों पर निकलेंगे तब सुनेंगे की कोई टी राजा कह रहा है, धर्म सबसे ऊपर है और एक उन्माद उसके सर तन से जुदा के लिए आक्रांत कर रहा है। बहुत जल्द दक्षिण भारत भी अब फिल्मों से निकलकर जमीन पर आने वाला है।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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