Positive India:Vishal Jha:
ठाकुर का कुआं अब सूख चुका है। ये दशक ’90 का नहीं है। लेकिन फिर भी कोशिश की जा रही है। कोशिश सफल भी होती रहती है, तभी बिहार को राजनीति की प्रयोगशाला का दर्जा मिला हुआ है। आज ठाकुर के कुएं पर कौन दुहाई दे रहा है? मनोज झा! मीडिया कह रहा ठाकुर को दुहाई ब्राह्मण दे रहा है। इसके बावजूद ठाकुर बनाम ब्राह्मण का राजनीतिक प्रयोग जन्म लेता दिखाई नहीं दे रहा। संसद में मनोज झा के बयान पर 5 दिन शांत बीत चुके। तो आरजेडी पार्टी से ही एक ठाकुर विधायक चेतन आनंद के जीभ पर जायफल रगड़ा गया। तो ठाकुर चेतन बोल उठा और उसने अपनी ही पार्टी के मनोज झा पर कोई उंगली नहीं उठाया, बल्कि पूरे ब्राह्मण समाज को इस सियासी प्रयोग में खींचने की कोशिश की।
लोग कहते हैं ठाकुर बनाम ब्राह्मण का यह नया सियासी प्रयोग जानबूझकर किया जा रहा। जो ठाकुर विधायक चेतन आनंद इस सियासी प्रयोग को हवा दे रहा है, उसका पिता आनंद मोहन दलित डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या के दोष में फांसी की सजा प्राप्त कर चुका था। लेकिन हाई कोर्ट ने सजा कमकर उम्र कैद में बदल दी थी। तो तेजस्वी यादव जब बिहार में सबसे बड़ी पार्टी वाले बनकर उभरे, तो जेल कानून में परिवर्तन करके हत्यारे ठाकुर आनंद मोहन को रिहा करा लिए। फिर उसी पार्टी के मनोज झा संसद में खड़ा होकर कहते हैं, ‘ठाकुर को मारो’। सवाल तो यही है मारना ही था तो रिहा क्यों करा लाए?
जवाब बड़ा सीधा है। ’90 का दशक याद आ जाता है। जहां एक तरफ दो धूर विरोधी समुदाय मुस्लिम और यादव को सियासत की नत्थी से नाथकर ‘एमवाई’ समीकरण बनाया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर राज्य भर में जातिवाद का भयानक नरसंहार चल रहा था। अगड़ा के कंधे पर भी राजद का बंदूक और पिछड़ा के कंधे पर भी राजद का ही बंदूक। सब जाति के अपने-अपने ठेकेदार। सारे ठेकेदार मिलकर बिहार में सामाजिक न्याय वाली जनता पार्टी की सरकार चला रहे थे। वही विपक्ष थे, वही सत्ता पक्ष थे। नरसंहार की इस लड़ाई को जब सामाजिक न्याय की लड़ाई कहा गया, उससे सरकार बची तो गरीब गुरबो की सरकार कहलाई।
ठाकुर आनंद मोहन के बहाने हर जाति और यादव-मुसलमान के तकरीबन 28 खूंखार क्रिमिनल्स को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के संरक्षण में जेल कानून परिवर्तन करा कर बाहर निकाल लिया गया। राज्य भर में एक बार फिर हर जाति के ठेकेदार सियासी बिसात के अपने-अपने मुहाने पर खड़े हैं। मनोज झा ने ठाकुर के कुएं पर दुहाई से पासा फेंका है। ठाकुर आनंद ने काउंटर किया, तो लालू यादव स्वयं फ्रंट फुट पर आ गए। क्योंकि जब मनोज झा के बयान से सियासत के तापमान में कोई अंतर नहीं आया, तो उन्हें लगा कि हिंदुत्व के दशक में कहीं बिहार भी सलट गया तो बेटा तेजस्वी यादव के करियर का भविष्य खत्म हो जाएगा।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)