तमिलनाडु में नेता या अभिनेता भाषावादी राजनीति में अपनी राजनीतिक रोटियां क्यो सेकते हैं?
-सुजीत तिवारी की कलम से-
Positive India:Sujit Tiwari:
यह तमिल अभिनेत्री ऐश्वर्या राजेश है जो तमिलनाडु में हिंदी के विरोध की सबसे मुखर आवाज रही है यह और उनके पति अक्सर एक टी-शर्ट पहन कर घूमते हैं जिस पर लिखा रहता है मुझे हिंदी नहीं आती है
फिर यह मोहतरमा अच्छी खासी हिंदी में बात करते हुए कपिल शर्मा के शो पर नजर आई तब पता चला कि वहां वह अपनी हिंदी फिल्म इंडियन टू का प्रमोशन करने आई थी
तमिलनाडु के लोगों को समझ जाना चाहिए यह पेरियार वादी राजनीति हमेशा से खतरनाक रही है यह पहले अमीर और गरीबों को लड़ाएगी, जातिवाद में लड़ाएगी और अंत में जब कुछ नहीं मिलेगा तब भाषा के आधार पर लोगों को लड़ाएगी और इसी का नतीजा है कि तमिलनाडु से बहुत सी इंडस्ट्रीज पलायन कर रही हैं । हुंडई अपना प्लांट हटा रहा है
और यह जितने भी नेता या अभिनेता इस भाषावादी राजनीति में अपनी राजनीतिक रोटी सेकते हैं यह सब दोगले होते हैं तमिलनाडु सरकार को चाहिए कि वह सरकारी खर्चे से तमिलनाडु में जगह-जगह तमिल सिखाने वाले इंस्टिट्यूट खोल दे भाषा सीखना बहुत अच्छी बात है कोई भी इंसान कितना बड़ा विद्वान है उसका यह पैमाना नहीं होता कि वह कितना ज्यादा पढ़ा लिखा है बल्कि उसका यह पैमाना होता है कि उसे दुनिया की कितनी भाषाएं आती है यह तमाम लोग दूसरे राज्य के लोगों को अपनी भाषा सिखाने के लिए कोई सुविधा केंद्र नहीं खोलते हैं सिर्फ नफरत की राजनीति करते हैं
इसका सबसे अच्छा समाधान यही है कि चाहे तमिलनाडु के नेताओं या महाराष्ट्र के नेताओं जिन्हें अपनी भाषा से प्यार है उन्हें चाहिए कि वह अपने राज्यों में जगह-जगह ऐसे इंस्टिट्यूट खोल दें कि जो दूसरे राज्य के आने वाले लोगों को अपनी भाषा सिखाने का काम करें और यह बड़ा अच्छा कदम होगा लोग भाषाएं सीखेंगे तो एक दूसरे के और करीब आएंगे लेकिन सिर्फ अपनी भाषा पर नफरत की राजनीति एक बेहद गंदी राजनीति होती है !!
साभार:सुजीत तिवारी-(ये लेखक के अपने विचार है)