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तालिबान ने रॉयटर्स के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को 72 हूरों तक पहुंचाया

एजेंडाधारी पत्रकार दानिश सिद्दीकी को तालिबान ने मौत के घाट उतारा।

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Positive India:Sujit Tiwari:
तालिबान ने रॉयटर्स के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को घुटनों के बल बिठाया तथा उसकी पीठ में गोली मारकर हत्या कर दी..!!

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दानिश सिद्दीकी जीवनभर हिंदुओं को फासिस्ट बताता रहा लेकिन हिंदुओं ने कभी उसे परेशान नहीं किया. जिस मोदी सरकार को वह फासिस्ट बताता रहा, उस मोदी सरकार ने उसे कभी एक शब्द तक नहीं बोला बल्कि उन्हें समय समय पर अवॉर्ड जरूर मिलते रहे. लेकिन जब दानिश का सामना असली फासिस्टों से हुआ तो दो दिन में ही मार दिए गए..!!

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अब लिब्रान्डू कह रहे हैं कि दानिश की मरने वाली तस्वीर को वायरल मत करो. ये ठीक नहीं होता. रियली? क्या सच में ये ठीक नहीं होता?

तब फिर दानिश सिद्दीकी ने क्या किया था? कोरोना काल में शमशान में जलती चिताओं की फोटो वायरल कर रहा था, क्या वो ठीक था? जलती चिताओं की तस्वीरें डालकर दानिश अट्टहास कर रहा था. ड्रोन से शमशान में जलती चिताओं की ऐसी तस्वीरें पब्लिश की जिन्हें विदेशी मीडिया ने खूब भुनाया तथा भारत की छबि धूमिल करने की कोशिश की. तब किसी लिबरल ने दानिश को क्यों नहीं रोका था कि वह ऐसा क्यों कर रहा है?

और हां, कोरोना ने तो सभी को मारा था न. लेकिन दानिश ने कब्रिस्तान में दफनाते लोगों की तस्वीरें नहीं दिखाई सिर्फ शमशान में जलती चिताओं की दिखाई, आखिर क्यों? शमशान भी उसने यूपी के सेलेक्ट किये था, किसी गैर बीजेपी शासित राज्य के नहीं, आखिर क्यों?

कहा जा रहा है कि दानिश सिद्दीकी निर्भीक था तभी ऐसी फोटो लेता था. रियली? दरअसल दानिश निर्भीक नहीं था बल्कि एजेंडाबाज था, Jiहादी था..!!

दानिश ने CAA विरोधी दंगों के दौरान सेलेक्ट करके ऐसी तस्वीरें पब्लिश कीं, जिससे हिंदू क्रूर दिखें. लेकिन IB अफसर अंकित सक्सेना को 24 बार चाकुओं से गोदकर मार डालने वाली तस्वीर ये नहीं दिखा सका था. बोर्ड लटकाकर हिंदुओं की दुकान व मकानों को आग लगाने वाली तस्वीरें ये नहीं दिखा सका था..!!

कुंभ में भीड़ की तस्वीरों को कोरोना स्प्रीडर बताकर दिखा रहा था लेकिन जब तब्लीगी जमात के कोरोना Jiहादी घूम घूम कर संक्रमण फैला रहे थे, उन तस्वीरों को दानिश नहीं दिखा सका था. दानिश कुंभ की भीड़ तो दिखा रहा था लेकिन ईद पर कोरोना नियमों का उल्लंघन करने वाली भीड़ की तस्वीरें वह नहीं दिखा सका था. दानिश कुंभ की तस्वीरें तो दिखा रहा था लेकिन किसान आंदोलन की आड़ में कोरोना नियमों का उल्लंघन करती भीड़ को वह नहीं दिखा सका था..!!

और हां, दानिश को मारा किसने है? तालिबान ने मारा है. लेकिन कोई भी लिबरल या इस्लामिस्ट ये कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है कि तालिबान ने क्रूरता की है और कर रहा है. बल्कि अपरोक्ष रूप से तालिबान का बचाव किया जा रहा है कि तालिबान व अफगान सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई में दानिश मारा गया. दानिश सिद्दीकी को मारने वाला तालिबान आज भी इन लिबरलों का दुश्मन नहीं है बल्कि इनके दुश्मन आज भी वो हिंदू हैं जिनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि है..!!

मुझसे कहा गया कि दानिश ने तो सच्ची तस्वीरें ली थीं, उससे भारत बदनाम कैसे हुआ? बताऊँ मैं? सुनो. दानिश ने सच्ची नहीं बल्कि एजेंडधारी तस्वीरें ली थीं. उसके कब्रिस्तान नहीं सिर्फ चिताओं की तस्वीरें ली थीं. उसने तब्लीगी जमात, किसान आंदोलन, व ईद पर उमड़ी भीड़ की नहीं बल्कि सिर्फ कुंभ की तस्वीरें ली थीं. उसने दिल्ली दंगों के दौरान Muस्लिमों की क्रूरता की नहीं बल्कि सिर्फ हिंदुओं को गलत दिखाने वाली तस्वीरें ली थीं..!!

अब आपके किये दानिश सिद्दीकी निर्भीक हो सकता है लेकिन मेरे लिए वह ऐसा एजेंडाधारी पत्रकार था जो Jihaदियों व अर्बन नक्सलियों का दुलारा था. जो हजारों हिंदुओं की जलती चिताओं की तस्वीरें दिखाकर अट्टहास करते हुए पैसा कमा रहे था, भारत की छबि को विश्वमंच पर धूमिल करने की कोशिश कर रहा था..!!

तो साफ है कि कर्मा लौटकर आता है. जो लोग आज दानिश की मरने वाले तस्वीरें शेयर कर रहे हैं, उस पर चीखने वाले लिबरल अगर दानिश को जलती चिताओं की तस्वीरें दिखाने से रोक लेते, उसे एजेन्डा चलाने से रोक लेते तो आज ऐसा नहीं होता..!!

अब ये ज्ञान दें कि मरने के बाद हिंदू धर्म किसी की बुराई करना नहीं सिखाता. भाईसाहब, आप हिंदू धर्म को समझे नहीं है. हिंदू धर्म विधर्मियों को जवाब देना सिखाता है, उनकी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बेनकाब करना व खिलाफत करना सिखाता है. अब हिंदू इतना मूर्ख नहीं है कि किसी एजेंडाधारी व राष्ट्रविरोधी की मौत पर औपचारिकता निभाते हुए उसे महान बताए बल्कि अब हिंदू सच के साथ तनकर खड़ा होता है और सच यही है कि दानिश सिद्दीकी खुद फासिस्ट था, भारत विरोधी ताकतों का एक प्यादा था जिसे तालिबान ने मार दिया..!!

पुनः Aल्लाह जी से निवेदन है कि दानिश सिद्दीकी को जन्नत में 72 Hooरें व उनके हिस्से में आने वाले गिलमा उपलब्ध कराएं ताकि वह दोबारा भारत को बदनाम करने के लिए वापस न आएं. भारत को अब किसी नए दानिश सिद्दीकी की जरूरत नहीं है..!!
साभार:सुजीत तिवारी(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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