Positive India: Dayanand Pandey:
वैसे तो ब्रेन ड्रेन पुराना मर्ज है लेकिन पचास प्रतिशत आरक्षण भी इस में कितना भागीदार है , किसी समाजशास्त्री को इस पर अध्ययन ज़रुर करना चाहिए । सारे अच्छे डाक्टर , इंजीनियर , वैज्ञानिक और अध्यापक तो देश छोड़ रहे हैं । पैसा और सुविधा भी एक बड़ा फैक्टर होगा । पर आरक्षण बड़ा फैक्टर है। इस लिए भी कि पता चलता है कि जिस को आप ने काम सिखाया होता है , आरक्षण का लाभ पा कर वह आप का बॉस बन जाता है । जिस को आप ने पढ़ाया होता है , वह प्रोफेसर बन जाता है , आप रीडर ही रह जाते हैं ।
तो इस तरह अपमानित हो कर कौन काम करेगा ।
और अब तो आलम यह है कि 96 प्रतिशत पर भी आप को विश्वविद्यालय में एडमिशन ही नहीं मिलता जब कि पचास प्रतिशत वाले को धड़ल्ले से एडमिशन मिल जाता है । तब पढ़ेगा भी कौन इस देश में । मेरिट का आलम यह है कि चौरासी में से छप्पन डिप्टी कलक्टर एक ही जाति का हो जाता है । ब्रेन ड्रेन फिर नहीं होगा तो क्या होगा । लेकिन किसी भी सूरत यह देश हित में नहीं है । सो कम से कम एक समाज शास्त्रीय अध्ययन तो होना ही चाहिए ।
इस लिए भी कि हम एक अकेडमिक रुप से एक दरिद्र और प्रतिभाहीन देश के निर्माण में आखिर कब तक संलग्न रहेंगे । राजनीतिक छल के कंधे पर बैठ कर आरक्षण एक नया बियाबान रच रहा है । प्रतिभाहीन रेगिस्तान !
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)