हिन्दी साहित्य की अंदरूनी दुनिया झूठ, प्रपंच, भितरघात, कुंठा, ईर्ष्या, दुर्भावना और द्वेष से भरी हुई है। हिन्दी के लेखक किन्हीं राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं की तरह व्यवहार करते हैं। फ़र्क़…
वामधारा का आरोप है कि "शाकाहार एक 'सवर्णवादी' विचार है, जिसे लोगों पर 'थोपा' जाता है और इसके बहाने विशेषकर ब्राह्मणवादी ताक़तें मुख्यतया मुसलमानों, दलितों और पिछड़ी जातियों पर निशाना साधती…
शाकाहार और मांसाहार का प्रश्न हिन्दू और मुसलमान, ब्राह्मण और दलित, भाजपा और कांग्रेस का प्रश्न नहीं है, यह जानवरों की जीवित रहने की आज़ादी का सवाल है। इस मामले का राजनीतिकरण करना शर्मनाक है।
Positive India:Sushobhit:
कुतर्की अपना नाश स्वयं ही करता है और अपने ही तर्कों के जाल में स्वयं को फाँस बैठता है- माँसभक्षी इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। माँसभक्षी अकसर कहता है कि "पेड़-पौधों…