प्रगतिवादी लेखक/कवि जो न कर सके, उर्फी ने वह साहित्य आज तक में कर के दिखाया
कल्पना कीजिये कि उर्फी उन्ही वस्त्रों में उपस्थित हो जाँय जिसके लिए उनकी ख्याति है। भइया जी! दिल्ली का बौद्धिक वर्ग अपना दिल जिगर गुर्दा कलेजी लुटा देगा...
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