बनारस के हुस्न को ग़ालिब की नज़र से क्यों देखें?
ग़ालिब कहते हैं, बनारस शंख-नवाज़ों का मंदिर है, हम हिन्दुस्तानियों का का’बा है
इबादत-ख़ाना-ए-नाक़ूसियानस्त,
हमाना काबा ए हिन्दूस्तानस्त।
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