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Positive India News

बैरिस्टर ओवैसी साहब कह रहे हैं कि मुसलमानों को अपना नेता चुनना होगा

काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती । सबके साथ रहेंगे सबका दुख दर्द समझेंगे तो फ़ायदे में रहेंगे । वरना जिस दिशा में आप मुसलमानों को ले जाना चाह रहे हैं उधर कुछ रखा नहीं है । अभी तो हिंदू तमाम…

नौ वर्ष, नौ योजनाएँ जिसने भारत की छवि बदली

ग्रामीण लोगों के लिए पेयजल, शौचालय, आवास, एलइडी, सिलिंडर, सड़क आदि की गुँथी हुई योजनाओं ने ग्रामीण जीवन को कई सीढ़ी एलिवेट किया है। शहरी जीवन जीने वाले इन सुविधाओं की महत्ता समझ ही नहीं…

कौन होगा जो 2024 में मोदी से मुकाबला करने मे सक्षम है?

पिछले नौ सालो से मोदी विरोध करने वाले नेताओं के चेहरों पर मुस्लिम तुष्टीकरण,वंशवाद और लूट खसोट की गहरी कालिख पुती है....ये जो नये संसद भवन का विरोध करने मे एकजुटता दिखाने और संगठित होने का…

संसद भवन का लोकार्पण: प्रधानमंत्री संसद के किस हिस्से के लिए उत्तरदायी है?

आप लोग जो रो रहे हैं कि यार राष्ट्रपति का बनता है, तो आप वामपंथियों के नैरेटिव को अपना चुके हैं। उन्होंने तीन दिन में आपको कन्विन्स कर दिया कि प्रधानमंत्री तो कुछ होता ही नहीं, जो होता है…

कितने ईश्वर हैं और कितनी तरह के? और ये सब कहां से आए? किसकी कल्पना से उपजे?

इस्लाम ने भी अपने ईश्वर का कोई चित्र नहीं बनाया। यानी आप जैसी चाहें, कल्पना कर लें। किंतु कल्पना ना ही करें तो बेहतर होगा। क्योंकि कल्पना 'कुफ़्र' है!

विपक्षी दलों द्वारा मिलकर संसद भवन उद्घाटन का बहिष्कार तथा इसका विश्लेषण

Positive India:Vishal Jha: जो अभी संसद भवन है, पूछा जाए कि किसने बनवाया, तो जवाब में नाम किसी अंग्रेज एडविन लुटियंस का आएगा। और उद्घाटन किसने किया, तो तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने, 1927…

स्वतंत्रता के पचहत्तर वर्षों बाद अब भारतीय संसद में प्रधानमंत्री मोदी ‘राजदण्ड…

सेंगोल का अर्थ होता है धर्म, सत्य और निष्ठा! इस राष्ट्र की सत्ता को इन तीनों मूल्यों की कितनी आवश्यकता है, यह सब समझ रहे हैं। शायद इसीलिए संसद में इस शक्ति के प्रतीक दण्ड का स्थापित होना…

दुनिया के किसी देश में संघीय राजधानी की ऐसी दुर्दशा नहीं, जितनी केजरीवाल ने दिल्ली की…

जिस शहर में देश का राष्ट्रपति प्रधानमंत्री संसद और सर्वोच्च न्यायालय स्थित हो वहाँ और उसके आस पास के क्षेत्र पर केंद्र सरकार का निर्विवाद नियंत्रण होना ही चाहिए । पता नहीं किस झोंक में…

हिंदू धर्म के डीएनए में एकता क्यो नहीं है ?

सावरकर समझते थे कि एकत्व क़ायम किए बिना बाहरी शक्तियों से लड़ा नहीं जा सकेगा। यही कारण था कि वे जाति-प्रथा के विरोधी थे, क्योंकि जातिगत विभेद हिंदू-एकता में बड़ी बाधा था। सावरकर एक राष्ट्र, एक…