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#nonvegetarian

भला कोई ‘रातोंरात’ गांधीवादी कैसे बन सकता है?

हिन्दी साहित्य की अंदरूनी दुनिया झूठ, प्रपंच, भितरघात, कुंठा, ईर्ष्या, दुर्भावना और द्वेष से भरी हुई है। हिन्दी के लेखक किन्हीं राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं की तरह व्यवहार करते हैं। फ़र्क़…

क्या शाकाहार एक ‘सवर्णवादी’ विचार और वीगनवाद एक…

वामधारा का आरोप है कि "शाकाहार एक 'सवर्णवादी' विचार है, जिसे लोगों पर 'थोपा' जाता है और इसके बहाने विशेषकर ब्राह्मणवादी ताक़तें मुख्यतया मुसलमानों, दलितों और पिछड़ी जातियों पर निशाना साधती…