माता विमाता-कनक तिवारी की कलम से
‘ढूँढो तुम अपनी माँ को उनकी विमाता की छाती में, जो अपनी अनजायी सन्तान के नासूर का सारा मवाद सुखा देना चाहती थीं। उस विमाता की विवशता में ढूँढो जो बाई को एक औरत की मौत के थोड़े समय बाद ही वही…
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