बौद्धिक पृष्ठभूमि के साथ मैं इस्लाम की आलोचना करता हूँ, और मित्रों की गाड़ी गोलवलकर, सावरकर से आगे नहीं बढ़ पाती। उनको लगता है, जो इस्लाम का क्रिटिक, वो गोलवलकर का चेला।
रामचरितमानस में रावण द्वारा सीता को घसीट कर अपहृत करने का वर्णन करते समय तुलसी ने मर्मभेदी उपमा दी है जो गाय को ले कर हिंदू संवेदनाओं पर पर्याप्त प्रकाश डालती है ,
अधम निसाचर लीन्हें जाई…
ऐसा कौन-सा डेस्पेरेशन था, जो हिन्दी के इतने सारे होनहार एक साथ टूट पड़े और वह भी उस किताब के लिए जिसे उन्होंने अभी पढ़ा तक नहीं है, न कभी पढ़ेंगे। जानवरों के हित में बात करना और शाकाहार की…