वो बच्चा जिसे वैष्णों माता की यात्रा के दौरान बस रोक कर आतंकियों ने मार दिया।
इस बच्चे के लिए कहीं कोई संवेदना नहीं, कहीं कोई शोक नहीं, प्रतिक्रिया का कोई स्वर नहीं... जबतक सामने टुकड़े न फेंके जाय, तबतक वे क्यों बोलेंगे? उनके लिए तो संवेदना भी धंधा ही है।