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Hindu

एक बार मिंटो और मार्क्स को साइड में रखकर जनजातिय लोकनृत्य को देखिये।

किसने कहा आप गये गुजरे हो गए? यह हिन्दू है, अत्याचारी को कच्चा खा जाए तो भी उसका हिन्दुत्व जरा भी नहीं डगमगाता!!

करवा चौथ की धूमधाम और लोकप्रियता से मैकॉले के मानसपुत्रों में घोर निराशा छा गई

मैकाले के मानस पुत्रों को सारा पिछड़ापन सनातनी पर्वों में ही नज़र आता है । शिवलिंग पर दूध की बरबादी इन्हें नज़र आती है लेकिन बक़रीद पर नालियों में खून बहते देख कर इतनी आत्मा को कोई कष्ट नहीं…

जब बंट गया था देश !

भागती लड़कियां मरने से पहले एक बार यह सोच कर मर जाती थीं कि जो युवक उनका दुपट्टा खींच रहा है, उसे पिछले ही सावन में उसने राखी बांधी थी। वह पहले दुपट्टा खींचता, फिर हाथ, फिर टांग...

राहुल गांधी ने क्यों कहा कि जो लोग ख़ुद को हिन्दू कहते हैं, वो हिंसा और नफ़रत फैला…

राहुल ने ये भी कहा कि "आप हिन्दू हो ही नहीं..."- अब राहुल गांधी देश को यह भी बताएँगे कि कौन हिन्दू है और कौन नहीं? और उनकी दृष्टि में हिन्दू होने की परिभाषा क्या है?

भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना क्यों ज़रूरी है ?

संसार में हिंदुओं का भारत के सिवाय कोई ठिकाना नहीं है । इसलिए इस ठिकाने को हिंदुओं की अंतिम शरणस्थली के रूप में संरक्षित किया जाना आवश्यक है ।

अगर हिंदुओ ने खुद को मजबूत नहीं बनाया तो उनकी हालत भी सीरिया,यूक्रेन या अफगानिस्तान…

अभी भी समय है...एकत्र होना...एकजुट होना....संगठित होना सीख लीजिये...क्योंकि आसन्न भविष्य आपकी बहुत..बहुत ही बड़ी परीक्षा लेने जा रहा है...जिसे आप समझ नही पा रहें है...बहरहाल आपसे निवेदन है…

हिंदुत्व को मजबूत करना केवल हिंदु के भले का विचार क्यो नही?

जिस तरह पुरुषत्व के बगैर पुरुष नपुंसक माना जाता है, उसी तरहा हिंदुत्व के विचारों से विहीन हिंदु भी परिवार के लिए टोंटी तो चुरा सकता है लेकिन देश या समाज के लिए हितकारी नहीं हो सकता ।

हिंदुओं का दुर्भाग्य भी देखिए भारत जोड़ो आंदोलन के पूरे इस प्रकरण में।

इस जागरण आंदोलन के ढांचे से हमारी एक कमजोरी भी निकल कर आई। वह कमजोरी ये कि नैरेटिव का व्यापार चलाने वाले लिबरल लेफ्ट खेमा समेत तमाम दरबारी मीडिया के हम सेल्फ मेड शिकार हुए। एक पल के लिए कहें…