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#editorial

भाजपा समर्थक केशव प्रसाद मौर्य से मुक्ति पाने के लिए क्यों छटपटा रहे हैं?

पिछले चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य को पल्लवी पटेल ने हरा दिया था। अगर केंद्रीय नेतृत्व मौर्य को योगी जी पर तरजीह देता है तो भाजपा की लुटिया डूबी समझिये ।

लालकृष्ण आडवाणी ने पत्रकारों को क्यों कहा था कि आप को तो बैठने के लिए कहा गया था…

तमाम फालतू फिल्मों की शानदार समीक्षा आखिर किस गणित के तहत होती हैं । संजू फिल्म में जिस तरह मीडिया को कुत्ता बता कर दुत्कारा और हिट किया गया है , उस पर मीडिया जगत में कोई नाराजगी या कसैलापन…

यूपी में योगी के विरोध में विधायकों को क्यों उकसाया जा रहा है?

हर नेता के उत्थान की राह में षड्यंत्र अपने ही लोग करते हैं। जो भी विधायकों को उकसा रहे हैं, वो यह भूल जाएँ कि योगी के चेहरे के बिना भाजपा 2027 में वापसी कर लेगी। योगी को यूपी से हटाने का…

हम भारत के लोग!

दुर्भाग्य का मारा व्यक्ति उस बदहवासी में अपने ही लोगों के विरुद्ध बोलने लगता है। तो क्या ऐसी ही किसी एक बात की पूंछ पकड़ कर एक बलिदानी की विधवा और माता का सोशल मीडिया ट्रायल कर दें?

असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में ‘जय फिलिस्तीन’ ही क्यों कहा ? जय…

लेफ़्ट-लिबरल्स की पूरी लड़ाई मुसलमान को और ज़्यादा मुसलमान बनाए रखने, पिछड़ा और दकियानूसी बनाए रखने के लिए है और यहीं से 'जय फिलिस्तीन' के नारे लामबंदी की मंशा से बुलंद होते हैं, जबकि…

आदि शंकराचार्य के सम्मुख ‘गुरु-गोविन्द दोउ खड़े’ वाली कोई दुविधा क्यों…

गुरु और गोविन्द। आदि शंकराचार्य के सम्मुख 'गुरु-गोविन्द दोउ खड़े' वाली कोई दुविधा नहीं थी! वे गोविन्द (श्रीकृष्ण) के उपासक थे और उनके गुरु का नाम भी गोविन्द ही था। वे एक ही पद में यमक या…

आदि शङ्कराचार्य पर फ़िल्म ने चार-चार नेशनल अवार्ड कैसे जीत लिए ?

फ़िल्म 'आदि शङ्कराचार्य' ने भी 1983 के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ पटकथा, सर्वश्रेष्ठ छायांकन और सर्वश्रेष्ठ ध्वनिमुद्रण के पुरस्कार जीते थे। चार-चार…

भक्ति का नशा भारत-देश के वासियों की बुनियादी मनोवैज्ञानिक बाधा क्यों हैं?

भारत की एक और विशिष्टता है- भगदड़। दुनिया के किसी देश में ऐसी भगदड़ नहीं मचती, जैसी यहाँ मचती हैं और सहस्रों सालों से मचती आ रही हैं। सामूहिक अवचेतन में पैठी हुई है भीड़ और भगदड़। मेलों-ठेलों…

अराजक महावत किसी हाथी को जब मिल जाता है

हर महीने 8500 रुपए की लालच दिखा कर झंडा ऊंचा करने वाला विपक्ष नहीं जानता कि कोई अराजक महावत किसी हाथी को जब मिल जाता है तब हाथी बिना चूके महावत का काम तमाम कर देता है , क्षण भर में। आह भी…