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#editorial

कांग्रेसी , वामपंथी और मुस्लिम समाज के लोगों का सामूहिक कदम ताल अद्भुत क्यों है?

वामपंथी धर्म को अफीम मानते हैं । जब कि वहीं मुस्लिम समाज के लोग मज़हब के आगे किसी को नहीं जानते , मानते और सुनते हैं । मज़हब के आगे सब कुछ भाड़ में ।

शिवाजी महाराज ने डंके की चोट पर हिन्दवी साम्राज्य की घोषणा की।

राष्ट्र के इतिहास में #छत्रपति_शिवाजी_महाराज वे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने एक ऐसे भारत की कल्पना को साकार रूप दिया जिसमें हिन्दू को हिन्दू होने का गौरव था।

जीवित रहते दुर्भाग्यशाली और जीवन के बाद सौभाग्यशाली होने की अजीब विडंबना मुक्तिबोध ने…

Positive India:Jai Prakash: दुर्भाग्य ने मुक्तिबोध का पीछा अंत तक नहीं छोड़ा। वह भोपाल के हमीदिया अस्पताल और दिल्ली के एम्स में करीब छह महीने तक भर्ती रहे। बचाने की तमाम कोशिशें डाक्टरों…

गुरु दक्षिणा का नाम आते ही सबसे पहले एकलव्य और द्रोणाचार्य की कथा ही मनोमस्तिष्क में…

गुरुओं को कभी एकलव्य जैसे शिष्यों की कामना नहीं करनी चाहिए । जिस तरह साधक सद्गुरु की खोज में रहता है उसी तरह सद्गुरु को भी पात्र शिष्य की खोज रहती है ।

लियोनल मेस्सी का अर्जेन्तीना के लिए लगातार चार फ़ाइनल हारना और फिर लगातार चार फ़ाइनल…

सचिन तेंदुलकर ने 20 साल से ज़्यादा समय तक खेलने के बाद विश्व कप जीता था, मेस्सी ने भी इंटरनेशनल-ग्लोरी के लिए दो दशक इंतज़ार किया। जब वे खेल को अलविदा कहेंगे तो उससे पूर्व ही फ़ुटबॉल के…

ज़ुबैर क्यों चाह रहा है कि सड़कों पर बैठी इन गायों का क़त्ल कर दिया जाए ?

ज़ुबैर कहता है, सॉल्यूशन बोलूंगा तो प्रॉब्लम हो जायेगा। ज़ुबैर को सॉल्यूशन नहीं पता है। वह इतना भर चाहता है कि इन गायों का क़त्ल करवा दिया जाए। पर मैं ज़ुबैर को किस मुँह से दोष दूँ जब इस देश…

गाय को लेकर वामपंथी हिंदुओं की भावनाओं को समझने को क्यों नहीं तैयार हैं ?

रामचरितमानस में रावण द्वारा सीता को घसीट कर अपहृत करने का वर्णन करते समय तुलसी ने मर्मभेदी उपमा दी है जो गाय को ले कर हिंदू संवेदनाओं पर पर्याप्त प्रकाश डालती है , अधम निसाचर लीन्हें जाई…

प्रतिभाहीन रेगिस्तान !

आलम यह है कि 96 प्रतिशत पर भी आप को विश्वविद्यालय में एडमिशन ही नहीं मिलता जब कि पचास प्रतिशत वाले को धड़ल्ले से एडमिशन मिल जाता है । तब पढ़ेगा भी कौन इस देश में । मेरिट का आलम यह है कि चौरासी…

पढ़-लिख कर भी कट्टर भए !

हामिद अंसारी शरिया अदालत की पैरवी में भी आतुर दिखा । संवैधानिक पद पर रहना , डिप्लोमेट रहना सब ध्वस्त हो गया इस एक नीचता में । और डाक्टर ज़ाकिर नाईक ? कभी चिकित्सक रहे इस व्यक्ति को वहाबी…