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Dilip Kumar

कामरेड समरेश बसु और फ़िल्मकार विमल रॉय का अमृत कुंभ !

अरे कुंभ नहीं पसंद है , कोई बात नहीं । गोली मारिए , कुंभ को । पर नाग बन कर , फ़न काढ़ कर , नित्य प्रति , क्षण -क्षण खड़े रहना इतना ज़रूरी है ?

सायरा बानू के जन्मदिन पर कनक तिवारी का विशेष लेख

दिलीप कुमार धर्म, जाति, संस्कार, भूगोल या मौसम के तकाज़ों का फकत उत्पाद नहीं है। अपनी ‘आत्मकथा‘ की अंगरेज़ी में प्रस्तुतकर्ता उदयतारा नायर को उन्होंने अपने गीता-ज्ञान से भी विस्मित किया है।…