हिंदू धर्म ग्रंथो पर नेता की टिप्पणी राजनैतिक व मानसिक दिवालियेपन की निशानी
कहाँ गए विपक्ष के धर्म निरपेक्ष नेता? क्या सबके मुँह मे ताला लग गया है? जिस तरह धूर्तता के साथ रामायण और महाभारत पर बकवास कर ली, चीन और रूस मे रहकर ऐसा सोच भी नहीं सकते थे ?