दिग्विजयदास: टुकड़े टुकड़े याद-कनक तिवारी की कलम से
यह कोई महत्वाकांक्षी राजपुरुष की कथा नहीं है। यह तो उसकी त्रासदी की काव्यात्मकता है जो महन्त दिग्विजयदास को किंवदन्तियों के नायक का रुतबा देती है।
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