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स्विग्गी

बंद है मुट्ठी लाख की, खुली जो प्यारे खा़क की।

मैं मुट्ठी बंद करता हूं तो उसके अंदर जीवन नहीं यादें घुस जाती हैं । मैं यादों को भींच रहा हूं । उनसे अलग नहीं हो पाता हूं क्योंकि मुट्ठी चाहने पर भी खुल नहीं रही है। बंद है मुट्ठी लाख की…